पंडित चंद्रदेव महाराज की कथा में हजारों भक्तों ने मनाया श्री कृष्ण जन्मोत्सव
श्री कृष्ण की जीवंतता और खिलंदडिपन के कारण ही कृष्ण को ईश्वर का दर्जा मिला- पंडित चंद्र देव महाराज
चीताखेड़ा। नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की…….. हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की……. जय श्री राधे…… जय श्री कृष्ण……..,.खुल गए सारे ताले ओए क्या बात हो गई……, कन्हैया के जन्म की सुन मैं दोडी आई मैया देदो बधाई…….,के जयकारों से पंडाल गूंज उठा। श्रीमद् भागवत कथा के दौरान श्री कृष्ण जन्म प्रसंग के दौरान जैसे ही वासुदेव भगवान श्री कृष्ण को लेकर आए तो पूरा पंडाल में जयकारे लगाते हुए सभी ने भगवान के जन्म पर एक दूसरे को बधाई दी । पुष्प वर्षा की और उसके बाद माखन -मिश्री और पंजेरी का वितरण किया गया। त्रिगुणात्मक प्रकृति के रूप में श्री कृष्ण की तीन माताएं हैं। रजोगुणी प्रकृति के रूप में जन्मदात्री देवकी मां जो सांसारिक माया ग्रह में केद है, सतगुणी प्रकृति रूप मां यशोदा है, जिनके वात्सल्य रूपी प्रेम रस को पीकर श्री कृष्णा बड़े हुए। इसके विपरीत एक गौर तमस रूपा प्रकृति भी शिशु भक्षक पूतना मां है, जिसे आत्म तत्व का प्रस्फुटित अंकुरण नहीं सुहाता और वह वात्सल्य का अमृत पिलाने के स्थान पर विषपान कराती है। यहां यह संदेश दिया जाता है कि प्रकृति का तमस तत्व चेतन तत्व के विकास को रोकने में असमर्थ हैं।—
चीताखेडा गांव के पुराना हायर सेकंडरी स्कूल परिसर में भव्य कथा पंडाल में कथा मर्मज्ञ पंडित श्री चंद्रदेव महाराज के मुखारविंद से संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा का वाचन किया जा रहा है। शुक्रवार को कथा के दौरान पंडित चंद्र देव ने श्री कृष्ण जन्म का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि कृष्ण ने काल को भी जीत लिया था। वरना काल तो उनका जन्म जहां हुआ था वह काल कोठरी थी और उनके मामा कंस ने उनके नहीं पैदा होने और अगर पैदा हो भी जाए तो फिर मार देने की पुख्ता व्यवस्था करके रखी थी। लेकिन देखो, कृष्ण पैदा भी हुए और बार-बार आने वाली मृत्यु को उन्होंने भगाया भी। श्री कृष्ण की जीवंतता और खिलंदडिपन के कारण ही कृष्ण को ईश्वर का दर्जा मिला। श्री कृष्ण का जीवन हर क्षण हमको यही प्रेरणा देता है कि जीवन को अनासक्त भाव से जियो। व्यास पीठ पर विराजित पंडित श्री के साथ हजारों श्रद्धालु भी उसी नाद में रम गए और शुरू हुआ क्षेत्र की जनता के साथ भगवत भक्ति सरिता का प्रवाह। प्रवाह कुछ इस तरह बहा की विशाल पंडाल भी छोटा पड गया। पंडाल में हजारों का यह समूह पहुंचा तो सब एक रंग में हो गए। उड़ रहा था तो कृष्ण जन्म की खुशी का रंग और बट रहा था तो पंडित श्री चन्द्र देव महाराज का अमृतवाणी का प्रसाद जिसे पाकर सब धन्य हो गए। गुलाल, हल्दी, चंदन और माखन मिश्री के साथ कथा के चौथे दिन चीताखेड़ा में चल रहे भागवत कुंभ में श्रद्धालुओं का शाही स्नान करते हुए खूब गोंते लगा रहे हैं। भगवान श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर पूर्व उप-सरपंच रतनलाल माली और भागचंद माली के द्वारा महाप्रसाद वितरण की गई। कथा पंडाल में जैसे ही वासुदेव के रूप में धीरज गोराणा पालने में बाल स्वरूप भगवान श्री कृष्ण को बिठा कर लेकर आए पूरे पंडाल में जय जय श्री कृष्णा की जयघोष से गूंजा उठा। नाचते झुमते हुए फुलों की बरसात कर श्री कृष्ण के आगमन पर स्वागत करने लगे।
संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा मर्मज्ञ पंडित चंद्र देव महाराज ने भक्ति का प्रवाह करते हुए शुक्रवार को धर्म पंडाल में उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं को ज्ञान गंगा प्रवाहित करते हुए कहा कि जो बेशर्म अधर्मी होते हैं वही शराब पीते हैं सनातन धर्म में जो व्यक्ति शराब का सेवन करता है वह इंसान के रूप में राक्षस हैं।आज की युवा पीढ़ी भेड़ और बकरियों की तरह कटिंग दाढ़ी रखवाते हैं जैसे कोई मस्जिद में नमाज पढ़ने जा रहे हैं।यह हमारी भारतीय संस्कृति नहीं है यह पाश्चात्य संस्कृति हैं,जो धर्म के विरुद्ध है। श्रीमद् भागवत कथा के दौरान एक साधारण पंडित श्री चन्द्र देव महाराज जो मीठे मधुर भाषा में अपनी बात पूरी कर पाते हैं ना अध्यात्म का ज्ञान बांटते वह अचानक ही वेद उपनिषद के गीत और भागवत के श्लोकों को बोलते हुए अचानक ही बीच-बीच में गर्जना करते हुए अपने आप को बड़ा मानने वाले धुरंधर राजनीतिक नेता एवं धर्म विरोधी बैठे हो उनके सामने बिना लाग लपेट के हजारों श्रद्धालुओं के सामने ऐसी सच्चाई बोलते हैं कि राजनीति करने वाले की एवं धर्म विरोध करने वाले की नजरे नीचे हो जाती हैं और वह अपने मन में सत्य ईमानदारी खोजने में मजबूर हो जाते हैं। कथा के दौरान इस प्रसंग का संक्षिप्त वर्णन किया वामन देव का प्रकट्य, राजा बलि, अजामिल , भक्त प्रह्लाद, समुद्र मंथन,रामचरितमानस का वृतांत संक्षिप्त रूप से समझाया।
श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा में कृष्ण जन्मोत्सव पर विशाल पंडाल को आकर्षक ढंग से सजाया गया। भागवत कथा समिति के पदाधिकारियों ने क्षेत्र के समस्त धर्म प्रेमी जनता से अनुरोध किया कि अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर कथा श्रवण कर पुण्य लाभ अर्जित करे। प्रतिदिन कथा प्रातः 11:30 से 3:30 तक प्रवाहित की जा रही है।
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