कराड़िया महाराज में श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा प्रवाह शुरू

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कराड़िया महाराज में श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा प्रवाह शुरू

जिस घर में माता-पिता के आंसू टपकते हैं वो घर कभी आबाद नहीं हो सकता -पंडित निरंजन शर्मा

चीताखेडा- जिस घर में माता-पिता के आंसू टपकते हैं वो घर कभी भी आबाद नहीं हो सकता और जिस घर में मां-बाप हंसते हैं वह घर आबाद रहता है। श्रीमद भागवत मृत्यु और मोक्ष की प्रदर्शक है, रामायण मनुष्य को जीवन का संदेश देती हैं। भागवत का श्रवण गंगा समान पूण्य होता है। ज्ञान व भक्ति दोनों ईश्वर की प्राप्ति के साधन है। श्रीमद् भागवत ज्ञान व भक्ति दोनों को प्रदान करने वाला अमृत है, जो भी इस का रसपान करता है उसे ईश्वर की शरण मिलती हैं। कामी, क्रोधी और लोभी तीनों अवगुण जिन व्यक्तियों में विद्यमान हैं ऐसे प्रवृत्ति के व्यक्ति कभी भी भक्ति नहीं कर सकते हैं, मन,वृत्ति पर काबू पाने वाला व्यक्ति ही परमात्मा की भक्ति कर सकता है। मनुष्य अपने आध्यात्मिक विकास के लिए अपनी आत्मिक शक्तियों का प्रयोग करता हैं। सतयुग, त्रेतायुग,द्वापरयुग और कली इन चारों युग भक्ति के प्रमाण हर युग में एक नर और नारी भक्ति की परिक्षा में उत्तीर्ण होकर जगत को दर्शाया है।भगवान श्रीकृष्ण ने आत्मा को अमर और अविनाशी बताया हैं।आत्मा को शस्त्र काट नहीं सकता,पानी इसे गला नहीं सकता,अग्नि इसे जला नहीं सकती और ना हीं वायु इसे सुखा सकती।
उक्त वाणी कथा मर्मज्ञ पं.निरंजन शर्मा गादोला ने कराड़िया महाराज में खाखरदेव मंदिर पर ठाकुर भगवान सिंह राणावत परिवार द्वारा आयोजित साप्ताहिक श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा महोत्सव के अवसर पर प्रथम दिवस सोमवार को कथा पंडाल में उपस्थित श्रोताओं को अपने मुखारविंद से प्रवाहित करते हुए व्यक्त की। उन्होंने कहा कि 24 अवतारों का ग्रंथ ही श्रीमद् भागवत है। 84 लाख योनियों में मनुष्य योनि श्रेष्ठ हैं, मनुष्य योनि को प्राप्त करने के लिए 84 लाख जीव तरसते हैं। सात जन्मों के पुण्य उदय के बाद मनुष्य योनि प्राप्त होती है। मनुष्य जन्म से नहीं कर्मों से महान बनता है।जब- जब भारत भूमि पर संत,ब्राह्मण और गौमाता दुःखी होते हैं उन पर अत्याचार होता है तब – तब देवता अवतार लेते हैं।भागवताचार्य निरंजन शर्मा ने कहा कि लौकिक,पारकिय, समाधिस्थ भागवत समाधिस्थ भाषा का ग्रंथ है।महात्मय की कथा समझाते हुए बताया कि ब्राह्मण का गौ माता का हत्यारा स्वर्ण चोरी करने वाला बड़े से बड़े चोर , दिन रात पाप कर्म करने वाले बड़े से बड़े पापी को भी श्रीमद् भागवत कथा श्रवण कर लेने से मुक्ति मिल जाती है। श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा महोत्सव प्रवचन के दौरान कथा मर्मज्ञ पंडित श्री निरंजन शर्मा द्वारा मुख्य रूप से आत्मदेव, धुंधली, धुंधकारी और गोकर्ण के प्रसंग को विस्तृत रूप से सुनाया गया।

कलश एवं शौभायात्रा के साथ हुआ भागवत कथा का शुभारंभ
श्रीमद भगवान कथा के शुभारंभ में गांव के मध्य स्थित बजरंग मंदिर से प्रातः 10 बजे बैण्ड बाजों एवं ढोल ढमाकों के साथ कलश एवं शौभायात्रा प्रारंभ हुई। जिसमें महिलाओं ने कलश को सिरोधार्य किया। पोथी यात्रा में विशेष विमान में बाल स्वरूप भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप विग्रह मुखोटे को विराजमान कर चल रहे थे। कलशयात्रा गांव के निर्धारित मार्गों से परिभ्रमण करती हुईं चारभुजानाथ मंदिर, रावले में विराजमान बाणमाता मंदिर से परिभ्रमण करती हुई खाखरदेव मंदिर परिसर में कथा पंडाल पहुंची।इसके बाद कथा के मुख्य यजमान भगवान सिंह राणावत परिवार के सदस्यों ने कथा शुभारंभ के पूर्व पौथी पूजन कर आरती की। प्रतिदिन श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा साप्ताहिक प्रवचन दोपहर 11:30 बजे से शाम 4 बजे तक भागवताचार्य पंडित निरंजन शर्मा के मुखारविंद से प्रवाहित किए जायेंगे।

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