सज्जनता दुर्जन को भी सज्जन बना देती है–सौम्ययशा श्रीजी
मनासा। दुर्जन व्यक्ति के प्रति की गयी दुर्जनता उसे और अधिक दुर्जन बनाएगी जब कि यदि उसके साथ सज्जनता का व्यवहार होगा तो एक दिन वह दुर्जन भी सज्जन बन जायेगा। परमात्मा ने जाने कितने ही पापी-हत्यारों को भी तारा है। उन्हें स्वयं के पापों की निर्जरा करने का अवसर प्रदान किया है,परिणामस्वरूप कई दुर्जन परमात्म शरण पाकर सज्जन बने है।
मृत्यु न तो रिश्वत लेती है और न ही कह कर आती है,जिस दिन वो वरण करने आएगी उस दिन हर हाल में जाना ही होगा…सारा वैभव यहाँ धरा का धरा रह जायेगा, साथ जाएगा तो सिर्फ आपके पुण्य कर्म। सच्चा श्रावक वही है जो सम्पन्नता के बावजूद आवश्यकता के अनुसार ही साधनों का भोग करता हो।
यह विचार चातुर्मास हेतु विराजित प्रवचन प्रभाविका परम् पूज्य सौम्ययशा श्रीजी मसा.ने व्याख्यान में व्यक्त किये। पाट पर विराजित पूज्य समर्पिता श्रीजी मसा. ने कहा कि काया तो नश्वर देह है ये यहीं रहने वाली है साथ तो सिर्फ पुण्य और पाप ही चलते है। इसलिए मोह माया को छोड़कर हमारा भव बचे ऐसा जीवन जीना है। गुरुभगवन्त का आश्रय एवं परमात्मा की शरण ही हमारा उद्धार करेगी। हमने पेट की चिंता तो बहुत करली अब ठेठ की चिंता कर लो….बैंक बैलेंस तो बहुत बड़ा लिया अब पुण्यों के बैलेंस को बढ़ाने की बारी है। परमात्मा की वाणी सुनने का अवसर सौभाग्यशाली लोगो को ही मिलता है आप सब क़िस्मत वाले हो जो गुरुभगवन्त कि वाणी का श्रवण कर धर्म क्रियाओं में में अनुरक्त हो। पूज्य अर्पिता श्रीजी ने भी अपने विचार रखे।
व्याख्यान में पूज्य समर्पिता श्रीजी म.सा के सांसारिक परिजन भी उपस्थित थे।
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