सिंगरौली।। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। राजनीतिक पार्टियों अपने-अपने प्रत्याशियों की लगभग घोषणा भी कर चुकी है और प्रत्याशियों ने अपना नामांकन भी कर दिया है अब निर्वाचन आयोग के द्वारा 2 नवंबर को स्पष्टीकरण कर दिया जाएगा कि कौन प्रत्याशी मैदान में है और कौन अपना फार्म खींच लेता है या फिर किसका फॉर्म रिजेक्ट हो जाता है।।
वहीं चुनाव के सरगर्मी की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार रामनिवास शाह अकेले जनसंपर्क में लगे हुए ना तो उनके साथ भारतीय जनता पार्टी के जिम्मेदार एवं पदाधिकारी दिख रहे हैं ना ही कार्यकर्ता वर्तमान विधायक राम लल्लू वैश्य का टिकट कट जाने के कारण विधायक गुट भी नाराज है दिख रहा है।। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की बात करें तो भाजपा जिला अध्यक्ष के कार्य शैली से ना तो कार्यकर्ता तैयार हो सके हैं ना ही पदाधिकारी इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा के नेता एवं कार्यकर्ताओं की निष्क्रियता एवं जिला अध्यक्ष की कार्य शैली की वजह से भाजपा को बड़ा नुकसान भी हो सकता है भले ही रामनिवास शाह अकेले अपने बलबूते जनसंपर्क एवं लोगों से मिल रहे हैं लेकिन भाजपा के नेताओं का सहयोग उन्हें अभी तक नहीं मिल पा रहा है।
वहीं कांग्रेस पार्टी की प्रत्याशी रेनू शाह भी जनसंपर्क में लग चुकी है उनके साथ इस बार पूरी कांग्रेस दिख रही है लेकिन रामनिवास शाह भाजपा के प्रत्याशी होने के कारण साहू वर्ग में रामनिवास शाह की ओर आकर्षण ज्यादा दिख रहा है जिसके वजह से जाति समीकरण की बात करें तो साहू वर्ग रामनिवास शाह की ओर अपना झुकाव दिखा रहे हैं लेकिन यह समीकरण आने वाले समय में बदल सकता है।
वही बहुजन समाजवादी पार्टी से प्रत्याशी चंद्र प्रताप विश्वकर्मा है लेकिन चंद्र प्रताप विश्वकर्मा लंबे समय से बीजेपी में कार्य करते रहे और मेयर का चुनाव लड़े और हार गए लेकिन इस बार बीजेपी से बागी होकर बहुजन समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं चंद्र प्रताप विश्वकर्मा को संभवत सभी वर्ग जाति का सहयोग मिलने की संभावना जताई जा रही है क्योंकि मेयर के चुनाव हारने के बाद से ही चंद्र प्रताप विश्वकर्मा विधानसभा चुनाव की तैयारी में लग चुके थे वहीं बहुजन समाजवादी पार्टी की कैरेट वोटो की बात करें तो 10000 बताया जाता है, वही बहुजन समाजवादी पार्टी के साथ गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी समर्थन में जिसकी वजह चंद्र प्रताप विश्वकर्मा को ज्यादा मजबूती मिल रहा है उसके साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता भी नेता भी इस बार चंद्र प्रताप विश्वकर्मा का अंदर ही अंदर मदद कर सकते हैं, साथ इस बार चंद्र प्रताप विश्वकर्मा के साथ सभी वर्ग जाती के लोग दिख रहे है। जिससे चंद्र प्रताप विश्वकर्मा को अच्छा लाभ हो सकता है।
वही आम आदमी पार्टी की मेयर रानी अग्रवाल भी विधानसभा चुनाव के मैदान में हैं। जहां रानी अग्रवाल को सामान्य सीट से सामान्य उम्मीदवार होने के कारण फायदा मिलता दिख रहा है तो वहीं महापौर के दो वर्षों के कार्यकाल में कई वादे पूरे न होने से जनता में नाराजगी भी देखी जा रही है। इसके साथ-साथ आम आदमी पार्टी के कई कार्यकर्ता बगावती सुर बोल रहे हैं और पार्टी में राह कर भीतर घात करने की जुटें है।। जिसके वजह से आम आदमी पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है। वही रानी अग्रवाल मेयर के चुनाव में झाड़ू और लड्डू बताकर चर्चाओं में आई थी लेकिन इस बार झाड़ू और लड्डू की चर्चा विधानसभा चुनाव में नहीं है। वही किए गए वादों को पूरा न कर पाना आम आदमी पार्टी के मेयर के लिए एक बड़ा चुनौती है जिसकी वजह से आम आदमी पार्टी के मेयर को बड़ा नुकसान हो सकता है। पार्टी के पदाधिकारियों का यह भी कहना है कि पार्टी की सरकार प्रदेश में नहीं है जिस कारण वादे पूरे नहीं हो सके फिर भी पार्टी ने अपने स्तर से पूरे प्रयास किये हैं अभी भी तीन वर्षों का समय शेष है आने वाले समय में वादे जरूर पूरे होंगे। देखना अब यह होगा कि क्या आम आदमी मतदाताओं को रिझाने में पुन: कामयाब होगी या इसबार उसे हार का सामना करना पड़ेगा।
अगर अन्य प्रत्याशियों की बात करें तो मैदान में कुंदन पांडेय,अतुल दुबे, ओम प्रकाश सिंह,आदि कई प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया है लेकिन मैदान में कौन रहेगा यह तो 2 नवंबर के बाद ही पता चल पाएगा