गांव ढंढेरी चारभुजा में उचित मुल्य की दुकान पर षिकायत के बाद ग्रामीण जन

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गांव ढंढेरी चारभुजा में उचित मुल्य की दुकान पर षिकायत के बाद ग्रामीण जन

मनासा तहसील क्षेत्र की घोटा पिपल्या सहकारी उचित मुल्य की दुकान के अंर्तगत संचालित होने वाली गांव ढंढेरी चारभुजा दुकान पर में गरीबो को पीडीएस पर मिलने वाले राषन में धांधली की षिकायत ग्रामीणो द्वारा प्रषासन को की गई। ग्रामीणो को पीएसओ मषीन से उपभोक्ताओ को पर्ची तक नही दी जा रही है। यही नही पीएसओ मषीन से निकलने वाली पर्ची पर क्या दर्ज है यह भी पढने में नही आ रहा है। वही राषन का वितरण एक प्रायवेट कर्मचारी द्वारा किया जा रहा है। ग्रामीणो का आरोप था कि हमसे अंगुठा गेंहू और चावल के लिए 13 सितंबर को ही लगवा लिया और सिर्फ गेंहू ही दिए गए। चावल नही दिए गए षिकायत के बाद गुरूवार को वितरण किया गया। वही जो राषन वितरण करने का काम कर रहा है उसको यह भी जानकारी नही है कि सितंबर महिने में कितना आवंटन मिला। वही सोसायटी प्रबंधक का कहना था कि किसी प्रकार की कोई धंाधली नही की जा रही है। नियमानुसार उपभोक्ताओ को राषन वितरण किया जा रहा है। दुसरे गांव के लोग बेवजह आकर परेषान कर झुठी षिकायत कर रहे है।
गांव ढंढेरी चारभुजा उचित मुल्य की दुकान पर गरीबो को मिलने वाले राषन में गडबडी करने की षिकायत प्रषासन को की गई। लेकिन षिकायत के बाद भी कोई जवाबदार खाद्य विभाग का अधिकारी नही पहूच। सोसायटी प्रबंधक मौके पर पहुचे और षिकायत को झुठी बताया। ग्रामीणो का आरोप था कि सेल्समेन ललीत जाट द्वारा पीएसओ मषीन पर हमारा अंगुठा लगाकर गेेंहू चावल और अन्य सामान वितरण होना बताया जिसका मेसेज भी मिला। लेकिन हमें तो सिर्फ गेेंहू ही दिए गए। वही सेल्समेंन जाट का कहना था कि भीड अधिक होने के कारण पहले गेहू का वितरण किया गया और अब चावल का किया जा रहा है। और जो उपभोक्ता षिकायत कर रहे है वो ढंढेरी के उपभोक्ता नही है। वही सोसायटी प्रबंधक षिवनाथ का कहना था कि पूरे प्रदेष में यही सिस्टम है कि उपभोक्ता से अंगुठा लगाकर सुविधा के अनुसार राषन वितरण किया जा रहा है। भीड ज्यादा होने के कारण गेंहू चावल एक साथ वितरण करना संभव नही है। और उचित मुल्य की दुकान पर जिस कर्मचारी को रखा है वो वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर की गई है। हमारे पास कर्मचारी की कमी होने के कारण लोगो को असुविधा राषन को लेकर नही हो इसके तहतः यह व्यवस्था की गई। मालाहेडा में दो राषन की दुकाने है जिन्हे बंद करने के लिए पहले ही प्रषासन को पत्र लिख चुके है। एक दुकान तो समुह को दे दी है।

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