मनोकामना अभिषेक से भगवान श्री पशुपतिनाथ की महिमा फैली सम्पूर्ण भारत में
मनोकामना अभिषेक का हुआ शुभारंभ, सेवा सहयोग शुल्क में होना चाहिए कमी
मन्दसौर। भगवान पशुपतिनाथ के सम्पूर्ण परिसर को एक दर्शनीय भव्य स्वरूप प्रदान करने का विचार तत्कालीन कलेक्टर श्री जी.के. सारस्वत के मन में आने पर उन्होंने पूरे श्रावण मास भगवान पशुपतिनाथ के नाम से सामूहिक अभिषेक कर उस अर्थ से भगवान के दर्शन करने दूर दूर से दर्शनार्थियों से संदेश जाये- योजना के तहत 2100/- दान राशि प्रत्येक अभिषेकार्थी से प्राप्त कर अभिषेक का श्री गणेश हुआ। 2010 में यह राशि घटाकर 1100/- रू. कर दी थी। बाद में श्री सारस्वतजी का तबादला होने और 2011 में कलेक्टर श्री महेन्द्र ज्ञानीजी ने इस कार्य में गायत्री परिवार का सहयोग लिया। अभिषेकार्थी से 200/- रू. पूजन सामग्री के दानस्वरूप लिये बदले में प्रत्येक अभिषेकार्थी को भगवान पशुपतिनाथ की रजत प्रतिमा भेंट की गई।
ज्ञानीजी के बाद सम्पूर्ण अभिषेक गायत्री परिवार ने वर्ष 2019 तक पूरी तरह निःशुल्क संचालित किया। श्रावण मास में सम्पूर्ण भारत से दूर दूर से आये दर्शनार्थी जब भगवान पशुपतिनाथ के परिसर में सैकड़ों की संख्या में भारत में पहली बार एक साथ समूह में लगातार 1 घण्टे तक वेद मंत्रों की सस्वर ध्वनियों के साथ अभिषेक देखते थे तब वे अपने को रोक नहीं पाते थे और स्वयं साथ में आ ये परिवार के साथ अभिषेक में सम्मिलित हो अपनी प्रति कृपा जो परम आनन्द शांति का अनुभव सुनाते औरों का प्रेरित करते थे आने के लिये। कोरोना के पश्चात् वर्ष 2022 से मनोकामना अभिषेक पशुपतिनाथ प्रबंध समिति ने अपने प्रभार में लेकर संचालित कर रही है। तब अभिषेक प्रतिदिन सोमवार से शनिवार तक अभिषेकार्थियों की अधिक संख्या से 2 पारी में और रविवार सोमवार तीन पारी तक होता था। वर्तमान में जहां सत्संग सभागार आराधना भवन है उसके अतिरिक्त नीचे के 2 परिसर अभिषेकार्थियों से भर जाते थे। बड़ा ही अद्भूत दृष्य होता था। गायत्री परिवार द्वारा नगर के समस्त सामाजिक संगठनों पहले बैठक की जाती थी और प्रत्येक समाज का क्रम निर्धारित किया जाता था कि कौन से समाज किस दिन अभिषेक में बैठना है।
कोरोना के बाद अभिषेक प्रारंभ हुआ। गत वर्ष अधिक श्रावण मास होने से दोनों महिने अभिषेक जारी रहा। अभिषेकार्थियों को पूजन सामग्री नहीं लाना पड़ती है। सामग्री मंदिर समिति से उपलब्ध करा दी जाती है। इस वर्ष 22 जुलाई से अभिषेक प्रारंभ हुआ है।
22 जुलाई को प्रथम श्रावण सोमवार होने से नगर के एक जोड़े को छोड़कर शेष 10 जोड़े बाहर के थे परन्तु आश्चर्य तो तब हुआ तब दूसरे दिन 23 जुलाई को ज्यादा अभिषेकार्थी जोड़े बैठने के बदले मात्र एक जोड़ा और एक व्यक्ति अकेला अभिषेक में बैठा। ज्यादा अभिषेकार्थि क्यों नहीं बैठे इस संबंध में नगर में जनचर्चा नहीं आने का कारण यह भी बताया जा रहा है कि इस बार 200/- के स्थान पर 500/- रू. प्रबंध समिति ने कर दिये है इसे कम करके 200/- रू. ही रखे जाने चाहिये। क्योंकि वैसे भी भगवान पशुपतिनाथ के खजाने में कमी नहीं है इसलिये 500/- रू. के बदले 200/- होने से साधारण व्यक्ति भी लाभ ले सकेगा और अधिक अभिषेकार्थियों के भाग लेने से भगवान पशुपतिनाथ की महिमा और अधिक बढ़ेगी और नगर केा गौरव मिलेगा।
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