धर्मधाम गीता भवन में गोपाल सहस्त्रनाम हवन और श्रीमद् भगवद् गीता मूलपाठ के साथ मनाया 52वां गीता जयंती महोत्सव

धर्मधाम गीता भवन में गोपाल सहस्त्रनाम हवन और श्रीमद् भगवद् गीता मूलपाठ के साथ मनाया 52वां गीता जयंती महोत्सव

मंदसौर

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धर्मधाम गीता भवन में गोपाल सहस्त्रनाम हवन और श्रीमद् भगवद् गीता मूलपाठ के साथ मनाया 52वां गीता जयंती महोत्सव

मन्दसौर। धर्मधाम गीता भवन में गीता भवन ट्रस्ट अध्यक्ष परम पूज्य स्वामी श्री रामनिवासजी महाराज, ज्योतिषज्ञ पूज्य लाड़कुंवर दीदीजी के सानिध्य में 52वां गीता जयंती महोत्सव मनाया गया।
पूज्य आचार्य पं. श्री हेमन्त भट्ट के आचार्यत्व में गोपाल सहस्त्रनाम हवन, आरती और श्रीमद् भवगद्गीता का संस्कृत में मातृशक्ति द्वारा सामूहिक मूल पाठ हुआ। हवन के मुख्य यजमान ओमप्रकाश चौधरी, विनोद चोबे, शुभम बैरागी और शेषनारायण माली दम्पत्ति थे।
मंदिर पुजारी श्री अभिषेक शर्मा द्वारा भगवान श्री कृष्ण का आकर्षक श्रृंगार किया गया।
पूर्व जिला प्रेस क्लब अध्यक्ष सामाजिक कार्यकर्ता ब्रजेश जोशी ने कहा कि 5000 वर्षों से अधिक व्यतीत द्वापर युग में महाभारत युद्ध में पाण्डव सेना के मुख्य धनुर्धर योद्धा अर्जुन का युद्ध में तत्पर अपने ही कुल के वरिष्ठ भीष्म पितामह, गुरू द्रोणाचार्य, कृपाचार्य आदि को युद्ध में लड़ने को सम्मुख देखकर युद्ध से उपराम होने पर सारथी बने भगवान कृष्ण ने अर्जुन को जिस उपदेश से लड़ने के लिये तैयार किया था। उस गीता उपदेश को आज के विषम वातावरण में चारों और आतंकवाद-प्रदूषण आदि से प्रत्येक क्षेत्र में जिन विभीषीकाओं से आज सम्पूर्ण संसार मानव समाज कर्तव्य विमूढ़ परेशान ग्रसित होकर अपने मुख्य कर्तव्य-लक्ष्य से भरके अर्जुन को पुनः अपने सनातन मानव धर्म पर लौटाने में सहायक गीता को सर्वधर्म समन्वयक कल्याणकारी महान ग्रंथ बताया।  
जन परिषद अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ घनश्याम बटवाल ने कहा कि जीवन का सार है। गीता का सार , कर्म योग , भक्ति योग और ज्ञान योग का संयुक्त समन्वय गीता के माध्यम से समझा जा सकता है और इसे जीवन में उतारा जा सकता है । वर्तमान परिदृश्य में गीता का महत्व बढ़ गया है और इसके अलावा कोई विकल्प नहीं लगता।
समाजसेवी श्याम सेठिया ने गीता को सनातन धर्म का आधार स्तम्भ बताते हुए कहा कि गीता किसी एक समाज धर्म का नहीं सम्पूर्ण मानव समाज कल्याणकारी पथ प्रदर्शक है।
उपस्थित रहे- उपाध्यक्ष जगदीश चौधरी, सचिव पं. अशोक त्रिपाठी, ट्रस्टी बंशीलाल टांक  जगदीश काबरा, सुभाष अग्रवाल, राजेश सोमानी, श्री झंवर, नरेन्द्र अग्रवाल, प्रकाश सिसौदिया, नवनीत पारख, भगवान भाई विजयवर्गीय सुरेन्द्र चौहान (बंदूक वाले), सत्यनारायण अग्निहोत्री, मुरलीराम चंदानी, गोपाल माली, दिनेश खत्री, विद्या उपाध्याय, अंजू तिवारी, रानू तोमर, पुष्पा गौड़, शांतिबाई सांखला, हेमा गेहलोद, निर्मला माली, सुमित्रा चौधरी, उषा कुमावत, रेखा टेलर, लक्ष्मीबाई देवड़ा, मेनाकुंवर हड़पावत, अनू पाटीदार, प्रीति मण्डलोई, गंगादेवी अग्रवाल, उषा चौधरी, नीता चौबे, पूजा बैरागी आदि। संचालन पं. अशोक त्रिपाठी ने किया व आभार बंशीलाल टांक ने माना।

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