मन्दिर आज भी पद्मावती के नाम से ही प्रसिद्ध है धधकते अंगारों पर चलते है श्रद्धालु

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प्रतापगढ़ दलोट निकट ग्राम निनोर में प्रसिद्ध मां पद्मावती का एक ऐसा मन्दिर है जहां मां पद्मावती की प्राचीन प्रतिमा स्थापित है किंवदंति है कि प्रतिमा दिन में तीन रुप धारण करती है इसलिए इसे त्रिरूपधारिणी भी कहते है इस मंदिर और निनोर कस्बे का उद्गम उत्तर महाभारत काल से माना जाता है उस काल के प्रसिद्ध चरित्र नल-दमयंती से इस कस्बे का जुड़ाव है राजस्थान व मध्यप्रदेश की संगम स्थल पर रतलाम-प्रतापगढ़ मार्ग पर दलोट के निकट ग्राम निनोर में यह प्रसिद्ध मंदिर रोजड़ नदी के किनारे स्थित है नल-दमयन्ती का उल्लेख उत्तर महाभारत काल के समय का है जो करीब 3300 वर्ष पुराना माना जाता है वर्तमान का निनोर गांव उस समय का नैनावती नाम का समृद्ध नगर था नेनावती में ही नैनसुख तालाब पद्मावती मां का मंदिर व मन्दिर के पास गुरु-शिष्य की जीवित समाधि प्रसिद्ध है मन्दिर आज भी पद्मावती के नाम से ही प्रसिद्ध है धधकते अंगारों पर चलते है श्रद्धालु इस मंदिर प्रांगण में गुरु और शिष्य की समाधियां दर्शनीय भी है इन समाधियों के प्रति भी लोगों में आस्था है यहा प्रति वर्ष चैत्र रंग पंचमी को मेला लगता है इसमे मन्दिर प्रागण में अंगारों की चूल का आयोजन होता है मन्दिर के पास बनी पुरानी ऐतिहासिक बावड़ी है मन्दिर पुजारी धधकते अंगारो पर चलकर मां पद्मावती के दर्शन करता है जिसके बाद मेले में आने वाले भक्त अंगारो पर चल मां की प्रतिमा के दर्शन करते है,

प्रतापगढ़ ब्यूरो चीफ अनिल जटिया

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