मां नर्मदा की जयंती में असमंजस की स्थिति बनने पर संतों ने लिया निर्णय।

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मां नर्मदा की जयंती में असमंजस की स्थिति बनने पर संतों ने लिया निर्णय। मां नर्मदा के उत्तरी तट पर सभी संतो एवं विद्य्जनो ने धर्म सम्राट स्वामी श्री करपात्री कल्याण आश्रम पर डॉक्टर कल्याणी चैतन्य ब्रह्मचारिणी अम्मा जी की मासिक पुण्यतिथि के अवसर पर एकत्रित हुए जहां पर सभी ने एक मत होकर निर्णय लिया की 15 फरवरी को समस्त रीवा खंड में नर्मदा जयंती महोत्सव मनाया जाएगा इस निर्णय के दौरान एक प्रेस पढ़ता भी आयोजित की गई जिसमें धर्म सम्राट स्वामी करपात्री कल्याण आश्रम के सच्चिदानंद महाराज जी ने मीडिया से चर्चा में कहा कि मां नर्मदा माघ शुक्ल सप्तमी को मध्यान में प्रकट हुई थी एवं निर्णय सिंधु ग्रंथ अनुसार सषटिया युक्ता सप्तमी शास्त्र मत से मां नर्मदा का जन्मोत्सव मध्यान में अपनी माघ शुक्ल सप्तमी ग्राहय है। जो की 15 फरवरी को है इसलिए पुण्य लाभ अर्जित करने श्रद्धालुओं को 15 फरवरी को मां नर्मदा का पूजन कर जन्म उत्सव मनाना चाहिए।
समस्त साधु संत अपने-अपने आश्रम पर 15 फरवरी को ही मां नर्मदा का पूजन कर मां नर्मदा की जयंती मनाएंगे और भंडारे का आयोजन करेंगे
इसके साथ ही मांग माह में गुप्त नवरात्र में मां नर्मदा जयंती का पुण्य अवसर भी आता है। इसलिए गुप्त नवरात्रि को रेवा नवरात्र घोषित किया गया साथ ही माघ मास कल्पवास को लेकर भी संतों के मध्य एक मध्य निर्णय लिया गया लखनी है कि संतों ने बताएं अनुसार 15 फरवरी को मां नर्मदा जयंती और 16 फरवरी को प्रति वर्ष होने वाला भंडारा किया जाएगा इस दिन मां नर्मदा घाट पर मां रेवा की पाल की यात्रा भी निकाली जाएगी।

मध्य प्रदेश के खरगोन जिले से मिश्रीलाल कोहरे की विशेष रिपोर्ट

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