विशुद्ध नगरी झांतला में दीक्षार्थी बाल ब्रह्मचारिणी सुमन दीदी की भव्य गोद भराई ओर बिनोली निकाली गई।
जैन धर्म की जयकारो से गूंज उठा झांतला।
झांतला। श्री 105 विशुद्ध मति माताजी की प्रेरणा से बाल ब्रह्मचारणी सुमन दीदी ने दीक्षांत लेने का संकल्प लिया जिसके तहत विशुद्ध नगरी झांतला में उनकी गोद भराई व बिनोली निकाली गई। जिसमें बड़ी संख्या में झांतला, सिंगोली रावतभाटा कोटा ,बोराव, बिजोलिया, थडोद, धनगांव, टुकराई, चेची, कांकरिया तलाई, आदि गांव के जैन धर्मावलंबियों ने भाग लेकर दीदी के कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की। बिनोली के कार्यक्रम की शुरुआत, दोपहर 1:00 बजे बिंदोरी
नई आबादी से शुरू की गई जो ग्राम विभिन्न गली मोहल्ला से निकाली गई। जिसमें जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा नाचते गाते अनुमोदना करते हुए अगुवाई की गई। जगह-जगह दीदी का भव्य स्वागत किया गया उनके संयमी जीवन का अंगीकरण किए जाने पर लोगों के खुशी के आंसू निकल गए।मंगलाचरण व गोद भराई, स्थानीय बहनों द्वारा,संत शाला में रखी गई।
सभी महिलाएं , लहरिया , या चुंदड़ी की साड़ी पहने ।
पुरूष वर्ग सफेद ड्रेस पहने दिखाई दिए। बैंड बाजो ढोल धमाकों के साथ उक्त शोभा यात्रा का नाचते गाते महावीर के जय कारों से पूरा माहौल जैन्तव में,भक्ति मय हो गया।
दीक्षार्थी,बाल ब्रह्मचारिणी सुमन दीदी की भव्य गोद भराई बिन्दोली का यह झांतला में ऐतिहासिक कार्यक्रम रहा है। दीक्षा समारोह में कई संस्कार पूरे करने के बाद दीक्षा मिलती है। दीक्षा लेने के बाद व्यक्ति को पांच वृतो का पालन करना पड़ता है। जिनमें अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य ,और अपरिग्रह सांसारिक मोह माया को त्याग कर साधु जीवन अपनाना और आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का साधन है। दीक्षा लेने वाला व्यक्ति अपने सभी सांसारिक सुखों रिश्तों और संपत्ति का त्याग कर एक साधु या साध्वी के रूप में जीवन जीने का व्रत लेता है। दीक्षांत समारोह का यह पवित्र कदम केवल बाहरी नहीं बल्कि आंतरिक परिवर्तन का प्रतीक है। यह आत्मा की जागृति अहिंसा, सत्य ,अपरिग्रह अचोर्य और ब्रह्मचर्य के पद पर चलने का प्रण है। यह क्षण वह होता है। जब कोई व्यक्ति दुनिया के मोह से ऊपर के अवशेषों को अपनी आत्मा का वास्तविक स्वरूप को समझने की कोशिश करता है। आज का यह दीदी का दीक्षांत अवसर हमें याद दिलाता है। कि जीवन के मूल उद्देश्य केवल आध्यात्मिक सुकून में नहीं है। आत्मिक शांति और मोक्ष प्राप्ति में है। साध्वी जी अपने लिए और समाज के लिए भी प्रेरणा,देते रहेंगे ऐसी हम कामना करते हैं। इस महोत्सव में धर्म की गूंज का आशीर्वाद और शिष्यों के उत्साह इस बात का प्रतीक है। कि यह केवल एक व्यक्ति की यात्रा नहीं है। बल्कि पूरी समाज की आध्यात्मिक विचारधारा का पर्व है। बहन सुमन दीदी को अपनी ओर से सभी ने हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दि।व प्रभु से प्रार्थना की कि उनका आध्यात्मिक मार्ग उन्हें मोक्ष प्राप्ति की ओर ले जाए और इससे से हमें प्रेरणा मिलती रहे हम भी जीवन में जैन धर्म के सिद्धांतों को अपनाकर जीवन को सार्थक बना सके। सभी का आभार दिगंबर जैन समाज अध्यक्ष झांतला द्वारा किया गया।
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