सरोकार गो वंश को लंपी रोधी टिकें लगाने आगे आया गो रक्षा दल, तेजी से फैल रहा संक्रमण!
बे-जुबानों की पथराई आंखों से छलकती पिड़ा को समझा गो रक्षकों ने!
पहले खुब जमकर छकाया गो वंश को पकड़ने में छुटा पसीना तब लगी वेक्सिन।
सरवानिया महाराज। एक तरफ कुछ लोग हैं जो पशुओं से मतलब का दुध निकल जाने पर उन्हें बे सहारा छोड़ देते हैं तो दूसरी तरफ कुछ लोग ऐसे हैं जो बे सहारा मवेशियों का सहारा बन जाते है और यही हमारे धर्म संस्कृति की खुबसूरती है, जिसमें हम बे-जुबानों की भाषा को पढ़ लेते है। पशुओं को जैसे ही कोई पशु पालक छोड़ता है तो उसी समय पशु के माथे पर आवारा होने की मोहर लग जाती है।
धरती पर विचरण करते मुक पशुओं को भगवान ने जीभ तो दी लेकिन जुबानी भाषा वाली आवाज़ नहीं दी। परन्तु इनकी पथराई आंखों से छलकती पिड़ा को समझने के लिए इंसानों को दिमाग के साथ दिल भी दिया और उसी समझ का नाम आज गो रक्षा दल है जो इन बेजुबानो की भाषा को समझ कर इनका दर्द कम करने में लगा है।
बेसहारा छोड़ दिए गए गो वंश को संक्रमण ना हो इसके लिए रविवार को एक टीम ने बेसहारा और लावारिस गो वंश को पकड़कर उन्हें लंपी रोधी टिकें लगायें। मवेशियों में तेजी से फेल रहे लंपी रोग की रोकथाम हेतु गो रक्षा दल सरवानिया महाराज ने सुबह से शहर में विचरण करने वाले गो वंश को पकड़कर कहार समाज धर्म शाला व शहर के मध्य स्थित राजमहल चौक पर एकत्रित कर इंजेक्शन दिए गए।
बहुत सारे नंदी महाराज ने पहले गो रक्षा दल को जमकर छकाया जिससे रक्षा दल सदस्यों का पसीना छुटा लेकिन आखिरकार कब्जें आयें नंदी महाराज और गायों को त्वचा रोग की रोकथाम हेतु एंटी लंपी इंजेक्शन लगाए गए। करीब डेढ़ सो मवेशियों को लंपी रोधी टिकें लगायें गये। करीब तीन घंटे में अकेले सरवानिया में 150 बेसहारा गो वंश का टीकाकरण कर मूक पशुओं को राहत प्रदान की गई। इससे अलावा आसपास के ग्राम मोरवन धामनिया जगेपुर बसेड़ी भाटी के आंकड़े भी लगभग इतने ही है। मवेशियों को लंपी रोधी टिकें लगाने के काम में डाक्टर दिनेश आर्य, डा. पीयूष पाटीदार , डा . नंदराम बैरागी ने आगे आकर गो वंश की सेवा की। जब शहर के लोगों ने इस पीठ थपथपाने वाले कार्य को देखा तो श्री पाल बस स्टैंड होटल ने गो रक्षा दल सदस्यों को चाय तो हलवाई विष्णु राठौर ने पोहा की तो केलें की नास्ता बालाजी फ्रुट, गोविंद पाटीदार , सुरेश माली ने कराई। इस बीच पटेल आल रेस्क्यू टीम के द्वारा सभी गो रक्षकों को भोजन कराया गया। तन मन धन के साथ गोधन की सेवा क्षेत्र में एक अन्य लोगों के लिए मोरल है।
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