कृषि विभाग के दल ने कीट नियंत्रण के बारे में दी जानकारी
खण्डवा – जिले में सोयाबीन, मक्का एवं कपास फसल पर कहीं-कहीं कीटों का प्रकोप देखने को मिल रहा है। उप संचालक कृषि श्री के.सी. वास्केल ने बताया कि जिला स्तरीय दल द्वारा गुरूवार को ग्राम टिठिया जोशी, जसवाड़ी, सिंगोट, गांधवा, इटवामाल, बडगांव पिपलोद आदि ग्रामों के खेतों की फसलों का निरीक्षण किया गया। साथ ही खेत में उपस्थित किसानों से चर्चा कर फसलों पर लगने वाले कीटों की जानकारी ली एवं किसानों को कीट नियंत्रण हेतु सलाह दी। भ्रमण के दौरान दल ने पाया कि सोयाबीन फसल में सेमीलुपर एवं मक्का फसल में फॉलआर्मी वर्म, कपास फसल में रस चुसक कीट (जेसीड, एफिड व्हीईट फ्लाई) कीट का प्रकोप आर्थिक क्षति स्तर से कम पाया गया।
उप संचालक कृषि श्री वास्केल ने बताया कि कीट का प्रकोप फसल पर दिखाई देने पर कीट नियंत्रण हेतु वैज्ञानिकों के द्वारा अनुशंसा की जाती है। उन्होंने किसान भाईयों की सलाह दी है कि फसलों पर सेमीलुपर और अन्य इल्लियों के लिए प्रति हेक्टेयर 20 टी आकार की खूंटिया लगावें। प्रांरभिक अवस्था में नुकसान के लक्षण दिखने पर नीम तेल 1500 पी.पी.एम, 5 मिली या 10 हजार पी.पी.एम 2-3 मिली प्रति ली. पानी में मिलाकर 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए। ग्रामीण स्तर पर खेत में प्रकाश प्रपंच 160 वॉट का बल्ब का उपयोग करते हुए तैयार करे एवं शाम 7 बजे से रात्रि 10 बजे तक लगाया जा सकता है। इससे वयस्क तितलियों को पकड़कर नियंत्रण किया जा सकें। वयस्क तितलियों को पकड़ने के लिये फेरोमेन ट्रेप 15-20 प्रति हेक्टर लगाना चाहिए। इसके अलावा अधिक प्रकोप होने पर सम्पर्क कीटनाशकों जैसे प्रोफेनोफास और सायपर मैथिन 30 मि.ली. प्रति पंप (सोयाबीन फसल) या क्लोरपारीफास, क्यूनालफास या लेम्डासायहेलोथ्रिन का डेढ़ मिली लीटर प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें। रस चुसक कीटों के नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 350 मि.ली./हेक्टयर या 5 मिली प्रति पंप की दर से छिड़काव करें। खरपतवारों के कारण सोयाबीन फसल के उत्पादन में होने वाले नुकसान को कम करने के लिये फसल को प्रारंभिक 45 दिन तक खरपतवार मुक्त रखना अत्यन्त आवश्यक है। उन्होंने बताया कि कृषकगण अपनी सुविधा अनुसार खरपतवार नियंत्रण की विभिन्न अनुशंसित विधियों कुल्या, डोरा, हाथ से निंदाई, रासायनिक खरपतवार नाशक में से किसी एक का प्रयोग करेे।
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