अट्ठाइ तप के इक्कीस तपस्वियों का निकला भव्य वरघोडा
मनासा के इतिहास में पहली बार लगा तपस्या का ऐसा ठाठ,श्रीसंघ ने किया सबका बहुमान
मनासा।स्थानीय अनुपपुरा गली स्थित चिंतामणि पार्श्वनाथ जिनालय के उपाश्रय में चातुर्मास हेतु परम् पूज्य सौम्ययशा श्रीजी, पूज्य अर्पिता श्रीजी, पूज्य रश्मिता श्रीजी पूज्य समर्पिता श्रीजी एवं पूज्य पन्थसिध्दि श्रीजी मसा. विराजित है आपकी पावनकारी निश्रा में श्रीसंघ में धर्म-ध्यान,त्याग-तपस्या का ठाठ लगा हुआ है।तपश्चर्या की कड़ी में झड़ी लगी हुई है। नगर में कल अट्ठाइ तप के 21 तपस्वियों का ऐतिहासिक एवं भव्य वरघोड़ा जैन मंदिर से प्रारंभ होकर नगर के प्रमुख मार्गों से होता हुआ द्वारिकापुरी धर्मशाला में धर्मसभा में परिवर्तित हुआ।
तपस्वियों के अनुमोदनार्थ श्रीसंघ की और से बहुमान एवं पारणे का कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में स्थानीय विधायक माधव मारू, विशेष अतिथि के रूप में नगरपरिषद अध्यक्ष प्रतिनिधि अजय तिवारी,नवरत्न परिवार के राष्ट्रीय सचिव ललित भामावत,दिगम्बर जैन श्रीसंघ से शिखर जैन,रामपुरा श्री पप्पू यति आदि उपस्थित थे।मंचासीन अतिथियों का श्रीसंघ अध्यक्ष प्रकाश हिंगड़ एवं चातुर्मास समिति के अध्यक्ष प्रवीण मानावत द्वारा कुमकुम तिलक एवं मोतियों की माला से स्वागत किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में गुरुवंदन तपस्वी गौतम सेठिया द्वारा एवं स्वागत गीत पार्श्व महिला मंडल द्वारा प्रस्तुत किया गया। स्वागत भाषण श्रीसंघ अध्यक्ष श्री प्रकाश हिंगड़ द्वारा प्रस्तुत किया गया। उपस्थित मुख्य अतिथि श्री माधव मारू विधायक मनासा ने चातुर्मास हेतु विराजित साध्वीभगवंतों की निश्रा में हो रहे धार्मिक कार्यक्रम की सराहना की। श्री तिवारी जी एवं श्री भामावत जी ने भी धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए तपस्वियों की अनुमोदना की।
पाट पर विराजित चातुर्मास प्रबंधिका परम् पूज्य अर्पिता श्रीजी मसा. ने जैन धर्म में तप के महत्व को बताते हुए तपस्वियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।वाचक्षेप अर्पित कर तपस्वियों को आशीर्वाद दिया। ततपश्चात सभी तपस्वियों का बारी-बारी से श्रीसंघ द्वारा अनुमोदना पत्र,चांदी का सिक्का, श्रीफल भेंट कर कुमकुम तिलक एवं माला से बहुमान किया गया। उल्लेखनीय है कि तपस्या की लड़ी में इससे पूर्व 13 तपस्वियों ने सन्तिकरम तप की आराधना की एवं छट अट्टम तप सहित कई तपस्याओं का दौर जारी है। श्रीसंघ इन सभी तपस्वियों का बहुमान भी करेगा।कार्यक्रम के अंत में सभी तपस्वियों को श्रीसंघ द्वारा पारणा करवाया गया एवं स्वामीवात्सल्य के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
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