लकवे के मरीज़ होते है ठीक,मनोकामना होती है पूरी।
बीमारियों से मोड़ीमाता रखती है दूर,मनोकामना होती है पूरी।
जावद के ग्राम मोड़ी के निकट क्षेत्र का यह प्रसिद्ध तीर्थ स्थल महामाया मोड़ी माताजी के नाम से प्रसिद्ध है जावद से करीब आठ किलोमीटर दूर मोड़ी माता मंदिर क्षेत्र के लोगों की आस्था का केंद्र है। देवी मां के मंदिर पर लकवे के रोगी अपने रोग से मुक्ति पाने के लिए पहुंचते हैं। नवरात्रि में माता की आराधना बड़े भक्ति भाव से की जाती है बताया जाता है कि माता नवरात्रि के नो दिनों में रोज़ रात में विचरण करती है और दुखियों के दुख को हर लेती है कई बार यहाँ पर चमत्कार हो चुके है एसे रोगी जो उदयपुर-अहमदाबाद में चिकित्सा के दौरान ठीक नहीं हुए वह यहाँ माता के आशीर्वाद से ठीक हो चुके है। क्षेत्र सहित राजस्थान-गुजरात के दर्शनार्थी मंदिर पर बड़ी संख्या में दर्शन लाभ लेने पहुँचते हैं।और क्षेत्र की सुख समृद्धि की कामना करते हैं। आस-पास के दर्शनार्थी नवरात्रि के नो दिनों में यहाँ पैदल दर्शन करने आते है
माता के मंदिर के निकट ही एक पुरानी बावड़ी बनी है जिसका जीर्णोद्धार वर्ष 2014-15 में प्रारंभ किया गया बावड़ी के पानी से भक्त स्नान करते है प्रसाद मानकर पीते है जिससे कष्ट रोग और पीड़ाए दूर होती है।नवरात्रि में मंदिर परिसर में मेले का आयोजन भी होता है।समिति के अध्यक्ष मुकेश पाटीदार ने बताया कि नवरात्रि में मंदिर में नवदुर्गा के पाठ किए जाते है अष्टमी को यहाँ हवन होगा।मंदिर परिसर लगातार विकास के कार्य जारी रहते है और माताजी की कृपा से कभी भी पैसे की कमी नहीं रहती है।
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