प्रधानाध्यापक रामस्वरूप चौधरी ही क्यों सबको प्यारे लगते हैं दिलीप चौहान
देवली कलां। कहते हैं कि नाम कमाने के लिए कड़ा परिश्रम और त्याग करना पड़ता है इसी बात को सत्यार्थ करते हैं रा उ प्रा वि समेल के पूर्व प्रधानाध्यापक रामस्वरूप चौधरी जिन्हें आज भी स्थानांतरण होने के बावजूद गांव के बुजुर्ग युवा महिलाएं पूर्व विद्यार्थी और नैना नैना टाबर इतना प्रेम करते हैं कि 2 साल बाद भी बच्चा-बच्चा उनकी कार्य शैली उनके त्याग बलिदान और कड़ी मेहनत को याद करता है सबकी जुबान से एक ही शब्द निकलता है की इनके जैसा अध्यापक नहीं देखा समाज सेवी मोहन सिंह समेल ने बताया कि रा उ प्रा वि समेल के पूर्व प्रधानाध्यापक रामस्वरूप चौधरी ने ग्राम वासियों भामाशाह और अध्यापक स्टाफ के साथ कड़ी मेहनत करके विद्यालय का चहुमुखी विकास कार्य करवाया जिसे लेकर आज भी आसपास के क्षेत्र में उनके नाम की चर्चा होती रहती है एक अध्यापक होते हुए विद्यालय में एक मजदूर की तरह कार्य करना शिक्षा में खेल में अन्य गतिविधियों में विद्यालय का नाम रोशन करवाया घर-घर जाकर भामाशाहों से सहयोग लेकर विद्यालय में लगभग 11 लाख रुपए का कार्य 2 वर्ष के कार्यकाल में करवाया विद्यार्थियों से उनका प्रेम इतना है कि आज कक्षा 8 के विदाई समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया तो समस्त विद्यार्थियों के लिए संतरे और विदाई समारोह में कक्षा 8 के विद्यार्थियों के लिए स्टील के टिफिन बॉक्स लेकर आए जब रामस्वरूप चौधरी का स्थानांतरण हो गया तो ग्राम वासियों ने पूरे गांव से पैसे इकट्ठे कर ऐतिहासिक विदाई समारोह का आयोजन किया प्रधानाध्यापक रामस्वरूप चौधरी ने भी विद्यालय में गेट का निर्माण करवाया तथा विदाई समारोह के दिन विद्यालय में आटा चक्की भेंट की वार्ड पंच नारायण सिंह और टीकमचंद जांगिड़ रावत मोहन सिंह के साथ मिलकर विद्यालय में विकास कार्य करवा कर विद्यालय का नाम रोशन किया रामस्वरूप चौधरी प्रकृति प्रेमी है उन्होंने विद्यालय में बहुत सारे पेड़ पौधे लगाए पहाड़ी क्षेत्र में उनके द्वारा अमरूदों का गार्डन लगाया जो आज भी उनकी याद दिलाता है इसीलिए आज भी वह सबके चहते बने हुए हैं गांव का बच्चा-बच्चा कहता हैं कि ऐसा अध्यापक हमने नहीं देखा।
प्रतापगढ़ ब्यूरो चीफ अनिल जटिया
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