टीबी से लडऩे के लिए जागरुक होना पड़ेगा

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टीबी से लडऩे के लिए जागरुक होना पड़ेगा

मंदसौर जिला प्रेस क्लब के प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में जिला क्षय अधिकारी डॉ द्विवेदी हुए पत्रकारों से रुबरु
मंदसौर। टीबी के खिलाफ सरकार के चलाए जा रहे अभियान में सहभागिता कर आम लोगों को भी जागरुक होने की जरुरत है।  टीबी की जांच कराने को लेकर लोग लापरवाही और संकोच करते हैं। यह एक बड़ी जागरुकता की कमी कहीं जा सकती है।
यह बात जिला क्षय अधिकारी डॉ आरके द्विवेदी ने कहीं। वह जिला प्रेस क्लब के तत्वावधान में प्रेस से मिलीए कार्यक्रम में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत पत्रकारों से रुबरु थे। डॉ द्विवेदी ने बताया कि मंदसौर जिले को सरकार ने पायलेट प्रोजेक्ट वाले जिले में शामिल किया है। उन्होंने कहा कि टीबी किसी भी उम्र में हो सकती है। टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत सबसे ज्यादा जोर टीबी की जांच पर दिया जा रहा है। लेकिन इससे लोग कतराते हैं। बिना लक्षण के तो लोगों को जांच के लिए तैयार करना बहुत मुश्किल होता है। टीबी के मरीज के ठीक होने के बाद वापिस बीमारी लौटकर होने की भी संभावना होती है। इसलिए उन्हें समय समय पर जांच कराना चाहिए। इसके अलावा टीबी के मरीजों के संपर्क में रहने वाले उनके पजिन और अन्य लोगों को भी टीबी की जांच कराना चाहिए। हमारा टारगेट है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की टीबी की जांच हो। ें मरीज की जांच से लेकर दवाईयां तक निशुल्क मिलती है। एचआईवी से ग्रसित लोगों में टीबी की संभावना बनी रहती है। उन्हें दवाईयां उपलब्ध कराई जा रही है। डॉ द्विवेदी ने बताया कि सर्वे में हर पांचवे व्यक्ति के शरीर में टीवी के किटाणु मिले हैं। इधर जांच कराने में पढ़े लिखे लोग भी कतराते हैं। जिसका परिणाम टीबी के खिलाफ चल रही जंग पर विपरित पड़ रहा है। समय पर जांच और उपचार मिल जाए तो टीबी को आसानी से हराया जा सकता है।
डॉ द्विवेदी ने बताया कि टीबी के मरीजों को ठीक होने के बाद हर छह माह में जांच के लिए कहा जाता है। इसका कारण है कि टीबी पलटकर वापिस आने की संभावना बनी रहती है। पुराने मरीजों को भी जांच के लिए बुलाया जाता है। एक सप्ताह अगर टीबी की दवाईयां शुरु कर दी जाए तो मरीज दूसरे सामान्य व्यक्ति को प्रभावित नहीं कर सकता। डॉ द्विवेदी ने बताया कि जिले में पिछले साल बड़ी संख्या में टीबी की जांच हुई। जिसके बाद मंदसौर को इस मामले में गोल्ड मेडल भी मिला था। उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद फेफड़े  कई लोगों के कमजोर हुए है। जिससे टीबी की रिस्क भी बढ़ी है। जनवरी से लेकर अभी तक 2 हजार 600 लोगों का उपचार किया जा चुका है। मेपिंग में पांच से ज्यादा मरीज मिलने वाले गांवों में सर्वे कराकर लोगों की जांच भी कराई जा रही है। स्लेट पेंसिल कारखानों सहित टीबी रिस्क वाले क्षेत्रों में लोगों कीजांच कराने को लेकर अभियान भी चलाया गया है। पायलेट प्रोजेक्ट को लेकर डॉ आरके द्विवेदी ने कहा कि देशभर में 347 जिले इसमें शामिल हुए है। जिसमें मंदसौर शामिल है। इसका कारण है कि मंदसौर में जांच ज्यादा हुई है और मरीज कम मिले हैं। इसके अलावा मंदसौर जिले मेंडेट रेट छह प्रश होने के कारण मंदसौर को पायलेट प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है। लगातार चल रही जांच और जागरुकता अभियान का परिणाम है कि टीबी पर काफी कंट्रोल किया जा चुका है। केस ढूंढकर उपचार किया जा रहा है। जिससे इस बीमारी की चेन टूट रही है। इस अवसर पर प्रेस क्लब अध्यक्ष पुष्पराजसिंह राणा, सचिव राहुल सोनी व कोषाध्यक्ष लोकेश पालीवाल भी मंचासीन थे।
कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की पूजा अर्चना के साथ हुई। प्रारंभ में स्वागत भाषण प्रेस क्लब अध्यक्ष पुष्पराजसिंह राणा ने दिया। संचालन सचिव राहुल सोनी ने किया। आभार कोषाध्यक्ष लोकेश पालीवाल ने माना।

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