जलजनित बीमारियों से बचाव हेतु उपयोगी सलाह
खण्डवा- मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ओ.पी. जुगतावत ने बताया कि वर्षा ऋतु में संक्रामक रोग जैसे हेजा, उल्टी-दस्त, पैचिस, खसरा, मलेरिया, पीलिया आदि बीमारियां उत्पन्न होती है। नदी, तालाब जैसे जल स्त्रोतों के पास जब लोग मल त्याग करते है, तो मल में मौजूद रोगाणु पानी में मिल जाते है। जब लोग स्नान करते हैं, कपड़े धोते है या पशुओं को नहलाते है, तो अनेक रोगाणु पानी में फैल सकते है, जब पीने के लिए या भोजन पकाने के लिए ऐसे प्रदूषित व गंदे जल का उपयोग किया जाता है तो यह रोगाणु शरीर में प्रवेश कर दस्त, हेजा, टाईफाईड, पीलिया, खूनी पैचिस, कृमी (कीड़े की बीमारी) तथा आंव दस्त जैसी कई बीमारियों को जन्म देते है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ओ.पी. जुगतावत ने बताया कि वर्षा ऋतु में जलजनित रोगों से बचाव के लिए हमेशा शुद्ध जल स्त्रोत का प्रयोग किया जाना चाहिए। हेण्डपम्प का पानी सबसे सुरक्षित साधनों में से एक है। पानी को हमेशा छानकर इस्तेमाल करने से कई बीमारियों से बचा जा सकता है। कुंओं के पानी में नियमित ब्लीचिंग पाउडर डाला जाना चाहिए। साथ ही पीने के पानी को हमेशा साफ बर्तन में ही रखना चाहिए, प्रतिदिन पानी के बर्तन को साफ कर पीने के पानी को हमेशा ढक कर रखना चाहिए। पानी को दोहरे कपड़े से छानकर भरा जाना चाहिए। पानी निकालने के लिए लम्बे हेण्डिल वाले बर्तन का प्रयोग करें। पीने के पानी में हाथ न डाले। एक घड़े या मटकें में एक क्लोरिन गोली पीसकर डालना चाहिए।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जुगतावत ने बताया कि दस्त रोग होने पर ओ.आर.एस. पैकेट एक लीटर स्वच्छ व शुद्ध पानी में घोलकर रोगी को पिलाना शुरू कर देना चाहिए। 24 घण्टे के अन्दर यह घोल अधिक से अधिक मात्रा में पिलाना चाहिए एवं 24 घण्टे के बाद बचा हुआ घोल फेंककर दूसरे पैकेट का घोल बनाना चाहिए। दूध पीने वाले शिशु का दूध बंद नहीं करना चाहिए। दस्त के साथ उल्टियां शुरू होने पर शीघ्र ही स्वास्थ्य कार्यकर्ता या चिकित्सक को बताकर उपचार लेना चाहिए। ओ.आर.एस. पैकेट सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनवाडी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता के पास निःशुल्क उपलब्ध रहते है। बाजार में बिकने वाले सड़े-गले खाद्य सामग्री व फल आदि न खरीदे, ढके हुए व अच्छी खाद्य सामग्री और फल ही खरीद कर सेवन करें।
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