आजीविका स्वसहायता समूह की मदद से उर्मिला बाई की आय हुई दोगुनी

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सफलता की कहानी

आजीविका स्वसहायता समूह की मदद से उर्मिला बाई की आय हुई दोगुनी

स्वसहायता समूह के माध्यम से सब्जी विक्रय का किया व्यवसाय शुरू

खण्डवा – ‘’खुद पर अगर विश्वास न हो तो छोटा से छोटा काम भी मुश्किल हो जाता है“ इसलिए कामयाबी हासिल करने के लिए बेहद जरूरी होता है अपनी काबिलियत पहचानना, हर इंसान में क्षमताएं होती है। इसी तरह का एक उदाहरण खण्डवा जिले की ग्राम पंचायत किल्लौद निवासी उर्मिला बाई का है। उन्होंने अपने अंदर की क्षमताओं को पहचाना और अपने ग्राम में आजीविका मिशन द्वारा संचालित हो रहे समूह से जुड़ने के बाद अपने आत्मविश्वास को बढ़ाया। पहले वह अपने घर के चूल्हे-चौके के कामों में ही उलझी रहती थीं अब मिशन के माध्यम से महिलाओं को समूह से जुड़ने के लाभ के बारे में बताने लगी हैं एवं ग्राम की अन्य महिलाओं को समूह से जुड़ने की प्रेरणा प्रदान करती हैं। वह स्वयं भी सब्जी विक्रय का काम करने लगी हैं एवं समाज को एक संदेश भी दे रही हैं कि कोई भी काम असंभव नहीं होता है।
उल्लेखनीय है कि उर्मिला बाई राधे-राधे आजीविका स्वसहायता समूह की सदस्य   है। ग्रामीण परिवेश में एक गरीब एकल परिवार बच्चों के साथ रहने वाली उर्मिला बाई के परिवार में 5 सदस्य है। उर्मिला बाई बताती हैं कि उनका पूरा समय घर परिवार के कार्यों को निपटाने में ही निकल जाता था किंतु उनके मन में कहीं न कहीं घर से बाहर निकलकर अपने परिवार की गरीबी की स्थिति को सुधारने एवं अपने परिवार के जीवन स्तर को बढ़ाने की सोच हमेशा रहती थी। उर्मिला बाई समूह से जुड़ने से पूर्व घर परिवार के काम करती थीं तथा अपने बच्चों की शिक्षा को लेकर जागृत नहीं थीं। घर से निकलने का अवसर कभी-कभी प्राप्त होता था वह भी नजदीकि किल्लोद जहां शुक्रवार को हाट का आयोजन होता है तथा पूरा समय परिवार के काम में ही खत्म हो जाता था।
उर्मिला बाई ने समूह से जुड़ने के बाद सब्जी विक्रय का कार्य प्रारंभ किया जिससे उन्हें अपने परिवार की आय बढ़ाने की प्रेरणा मिली। समूह से जुड़ने से पूर्व उनके परिवार की आय लगभग 5500 रूपये मासिक थी, अब बढ़कर लगभग 10,000 रू प्रतिमाह हो गयी है।

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