संघर्ष और मेहनत की जीत पिता के संघर्ष ने लिखा बेटी की सफलता का नया अध्याय
मन्दसौर। नगर के जनता कॉलोनी निवासी शिवनारायण भाटी ने अपने कठिन परिश्रम और संघर्ष से अपनी बेटी साक्षी भाटी की सफलता की एक प्रेरणादायक कहानी लिखी है। पेशे से सलून का कार्य करने वाले शिवनारायण ने आर्थिक तंगी और तमाम चुनौतियों के बावजूद अपनी बेटियों की शिक्षा में कोई कमी नहीं आने दी। उनकी बड़ी बेटी साक्षी भाटी ने हाल ही में SBI ऑफिसर भर्ती परीक्षा में सफलता हासिल कर न केवल अपने सपनों को साकार किया, बल्कि पिता के संघर्ष को गौरव प्रदान करते हुए समाज में एक मिसाल कायम की।
संघर्ष और मेहनत की जीत
शिवनारायण भाटी अपनी छोटी सी दुकान की आय से परिवार का भरण-पोषण करते हैं, जबकि उनकी पत्नी रेखा भाटी घरेलू कार्यों के माध्यम से परिवार की आर्थिक सहायता करती हैं। तीन बेटियों के पिता शिवनारायण ने हमेशा अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा और बेहतर संस्कारों से समृद्ध करने पर जोर दिया। उन्होंने साक्षी को शासकीय सेवा में बड़े पद पर पहुंचने के लिए प्रेरित किया। साक्षी ने अपने पिता की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए कड़ी मेहनत और लगन से SBI ऑफिसर के रूप में चयनित होकर इतिहास रच दिया।
साक्षी का प्रेरणादायक संदेश
हमारे संवाददाता से बातचीत में साक्षी ने कहा, “मेरे माता-पिता ने तमाम कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन हमें हमेशा बेहतर शिक्षा और संस्कार दिए। मैं परिवार में सबसे बड़ी बेटी हूं और मेरी दो छोटी बहनें हैं। आज मैं जिस मुकाम पर हूं, वह मेरे माता-पिता के परिश्रम और संघर्ष का नतीजा है। मैं समाज को यह संदेश देना चाहती हूं कि बेटियां किसी से कम नहीं हैं। हमें ऐसे लक्ष्य हासिल करने चाहिए जो परिवार को हर तरह से मजबूती प्रदान करें। यह मेरी अंतिम मंजिल नहीं है, मैं प्रशासनिक सेवा में और प्रगति के लिए निरंतर प्रयासरत रहूंगी।”
पिता-माता का गर्व और आशीर्वाद
पिता शिवनारायण भाटी ने बेटी की सफलता को ईश्वर की कृपा और उसकी मेहनत का फल बताया। माता रेखा भाटी ने भावुक होकर कहा, “ऐसी बेटी ईश्वर सबको दे। यह साक्षी की मेहनत और लगन का परिणाम है।” इस अवसर पर शिवनारायण के मित्रों और शुभचिंतकों, जिनमें सतीश नागर, विक्रम सिंह पंवार, राजू गहलोत, मुकेश जाट, नरेंद्र नायक, राजेश त्रिवेदी, मनोज टेलर आदि शामिल थे, ने साक्षी को सम्मानित कर बधाई दी।
यह कहानी लाखों गरीब परिवारों और बेटियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है। यह साबित करता है कि मजबूत इरादों और कठिन परिश्रम के साथ कोई भी मंजिल असंभव नहीं है। साक्षी की उपलब्धि न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे मंदसौर जिले के लिए गर्व का विषय है।
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