एक श्रेष्ठ नागरीक बनकर समाज और राष्ट्र की सेवा करने की भावना और व्यवहार में परिवर्तन ही शिक्षा का मुख्य उद्देश्य होना चाहीए – श्री पारीख

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एक श्रेष्ठ नागरीक बनकर समाज और राष्ट्र की सेवा करने की भावना और व्यवहार में परिवर्तन ही शिक्षा का मुख्य उद्देश्य होना चाहीए – श्री पारीख

मंदसौर। शासकीय प्राथमिक विद्यालय डिगांवमाली में कक्षा 5 के छात्र-छाात्राओं का विदाई समारोह आयोजित किया गया। प्रारंभ में माता सरस्वती के चित्र पर माल्यापर्ण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर कक्षा 5 के सभी छात्र-छात्राओं ने अपने मन के विचार और जीवन के लक्ष्यों पर आधारित अनुभव व्यक्त किये।
     बाल केबिनेट के प्रधानमंत्री अंकित सुर्यवंशी ने कहा कि में बालाजी इंटरनेशनल स्कुल डिगांवमाली से कक्षा 3 में शासकीय विद्यालय मे आया था मुझमें नेतृत्व व भाषण तथा अग्रेजी सहित गणित विषय पर मजबुत पकड़ हुई है। शिक्षक तथा माता पिता के संघर्ष से बहुत कुछ सीखने को मिला है।
     बाल केबिनेट के पवन सुर्यवंशी ने कहा कि माता पिता एवं गुरूजनों के चरणों में स्वर्ग होता है शिक्षा व्यवहार मे परिवर्तन लाती है संरस्वती शिशु मंदिर से कक्षा 2 उत्तीर्ण करके आया था तो बहुत डरता था पर आज मंचीय आयोजन में नृत्य कहानी, लेखन तथा सभी विषयों पर मजबुत पकड़ है। छात्रा काजल बागरी ने कहा कि विदाई पर रोना आता है विद्यालय के 5 वर्षिय खट्टे मीठे अनुभव जीवन पथ पर प्रेरेणा प्रदान करेंगे। अतिथि शिक्षिका श्रीमति वंदना बसेर ने कहा कि इत्र, मित्र, चित्र और चरित्र जीवन महकाते है। गुरूकुल के समान ही अभाव मे रहकर भी शिक्षा प्राप्त की जा सकती है। सदैव माता पिता गुरूजनो के ़़ऋणी रहें। स्वल्पाहार कराकर नन्हे मुन्ने बच्चो का उत्साहवर्धन किया।
    एनजीओं कि निःशुल्क शिक्षिका सुनिता मालवीय ने कहा कि जीवन मे अच्छे गुरू की छाप मृत्यु तक रहती है। गुरू द्रोणाचार्य, जगत गुरू श्रीकृष्ण, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, अब्राहिम लिंकन, स्वामी विवेकानन्द जैसे गुरूओं के जीवन से शिक्षा लेकर श्रेष्ठ नागरीक बनना चाहिए। इस अवसर पर वरिष्ठ अभिभाषक दिनेेश जेठानिया ने नन्हे मुन्ने बच्चो को बधाई शुभकानाएं दी।
      प्रभारी प्रधानाध्यापक मनीष पारीख सर ने कहा कि शिक्षा का मुख्य उद्दंेश्य कभी भी धन कमानां नही रहा है, डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, शिक्षक, सीए या व्यवसायिक शिक्षा प्राप्त कर विदेश जाना लाखों के पेकेज पाना साथ ही सिर्फ धन कमानां ही शिक्षा का उद्देश्य नही है।  गरीब असहाय जनता को लुटना की बजाये उन्हे दान मदद सहयोग परोपकार आदी करके समाज और राष्ट्र के उत्थान मे अपनी वास्तविक शिक्षा का परिचय देवें। अधिकारो से पहले अपने कर्तव्यों को निभाते हुए समय पर सभी तरह के कर चुका कर भारत के संविधान का पालन करेे यही सच्ची राष्ट्र भावना है। कक्षा 5 के बच्चो को पुष्पमाला पहनाकर श्रीफल नारीयल तथा डिगांवमाली के पुलिस चौकी डायल 100 प्रभारी श्रीकृष्णा द्वारा श्रीसांवरियाजी का प्रसाद देकर जीवन मे मंगल की कामनां की गई।  अंत मे आभार श्रीमति वंदना बसेर ने माना।        

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