दिपक छीपा हुऐ इस बार जिम्मेदारो की लापरवाही का शिकार गर्दन में आई गंभीर चोट
सिंगोली :- नगर की जनता व सड़क पर चलने वाले राहगीर लंबे समय से आवारा मवेशियों की धमाचौंकड़ी से परेशान हैं। यहां लगभग हर सड़क हर गली पर आवारा मवेशियों का आतंक है। मुख्य मार्गो से लेकर बस स्टैंड, तिलस्वा चौराहा ,सब्जी मंडी, एवं कई वार्डों में आवारा मवेशियों का जमावड़ा सर्वाधिक देखने को मिलता है। सड़कों पर घूम रहे आवारा पशुओं से आए दिन दुर्घटना होने से लोग परेशान हैं। ये मवेशी आए दिन आपस में भिड़ जाते हैं जिससे सड़क से निकलने वाले वाहन चालक भी घायल हो रहे हैं पहले वार्ड 12 के निवासी महावीर बगड़ा के साथ मवेशियों के आतंक से दुर्घटना घटी जिसमें उन्हे गंभीर चोटे आई जिसका इलाज भी सिंगोली से बाहर कराना पड़ा व इस बार तिलस्वा चौराहे पर चाय की होटल संचालित करने वाले दिपक पिता मांगीलाल छीपा को सोमवार सायं इन हुडदंगी मवेशियों का शिकार हो गये जिससे उनकी गर्दन में गंभीर चोट होने से स्थानीय प्राइवेट RBH राजस्थान होस्पिटल में ले जाया गया जहाँ हड्डी का ओपरेशन किया गया वह अभी भी एडमीट है व परिजनों का गुस्सा प्रशासन पर खुलकर फुटा लेकिन स्थानीय प्रशासन का इस ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं है। वही नगर परिषद द्वारा पिछले दिनो अवारा मवेशियों को पकड़ने का अभियान चलाया गया था वो भी ठंडे बस्ते में चला गया। जिसके चलते नगर को अभी तक पशुओं के आतंक से निजात नहीं दिला पा रही है। पहले भी कई बार नगर परिषद द्वारा मुनादी कराई जा चुकी है। इसके बावजूद कार्रवाई के पते नहीं। आमजन की मानें तो कई बार नगर परिषद को लिखित शिकायत करने के बाद भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। वाहन चालक होते हैं परेशान मवेशियों का सबसे ज्यादा जमावड़ा सड़कों पर होता है। यहां पर लगभग पूरी सड़क पर मवेशी दिन भर खड़े रहते हैं तो कई मवेशी बीच सड़क पर ही बैठे रहते है। वाहन चालक हार्न भी बजाता है तब भी वे टस से मस नहीं होते। वाहन चालकों को नीचे उतरकर उन्हें सड़क किनारे करना पड़ता है, तभी वह आगे बढ़ते हैं। दिन हो या फिर रात यह मवेशी राहगीरों के लिए सबसे ज्यादा मुसीबत बने हुए हैं लेकिन प्रशासन द्वारा इस ओर कोई ध्यान न दिए जाने से सब्जी व फल विक्रेता व राहगीरों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।
इधर आसपास के चौक-चौराहों पर इन दिनों सड़कों पर पशुओं की धमाचौकड़ी से आमजन परेशान हो रहे हैं। अनेक लोग इन पशुओं से टकराकर दुर्घटना का शिकार भी हो रहे है। बावजूद इसके स्थानीय प्रशासन इस मामले पर उचित कार्रवाई करने में नाकाम नजर आ रहा है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है पशु पालकों पर कार्रवाई हो, जुर्माना लगे नगर परिषद की भी तय हो जिम्मेदारी समस्या बड़ी है लेकिन समाधान का प्रयास नाकाफी है अधिकारी सुस्त है
मवेशी सड़क के बीच उत्पात मचाते हैं, लेकिन परिषद की सख्त कार्रवाई न होने से समस्या जस से तस बनी हुई है। विगत दिनों मवेशियों के कारण वार्ड 12 महावीर बगड़ा के साथ हादसा होने पर परिषद ने मवेशियों से घर से छोड़ने वाले गौ पालकों को घरो में ही रखने की एलाउंस करवाए। लेकिन एक दो दिन बाद फिर कार्रवाई धीमी पड़ गई। आलम यह है आवारा मवेशियों से हादसा होने पर फिर परिषद प्रशासन चेतता है।
इस विषय में कानून के जानकारों का कहना है कि नगर परिषद का दायित्व है कि लावारिस पशु को पकड़े। भारतीय दंड संहिता की धारा 289 के तहत नगर परिषद के पजेशन क्षेत्र में मवेशी नुकसान पहुंचाता है तो जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ मुकदजा दर्ज कराया जा सकता है। अदालत की भी शरण ली जा सकती है। आवारा पशु के कारण अगर किसी की जान जाने या अन्य पर नुकसान पर उसकी क्षतिपूर्ति का दावा अदालत में पेश किया जा सकता है।
यदि पशु पालक अपने मवेशियों को लावारिस अवस्था में छोड़ता है और उसकी वजह से आम जन को नुकसान होता है तो नगर परिषद अधिनियम के तहत परिषद गौ पालक के खिलाफ जुर्माना लगा सकती है। अगर पाबंद करने के बावजूद नहीं माने तो अदालत में उसके खिलाफ इश्तगासा पेश किया जा सकता है। इसके साथ ही परिषद आवारा पशु को उनकी अभिरक्षा में लेकर सात दिवस की सूचना निकालकर पशु को नीलाम करवा सकती है। गौ पालक पर क्षतिपूर्ति का दावा किया जा सकता है।
मवेशियों के कारण शहर में होने वाली समस्या को देखते हुए हाईकोर्ट का सख्त निर्देश है कि नगर निगम, नगर परिषद, नगर पालिका की जिम्मेदारी है कि शहर में आवारा पशु नहीं रहें। गौशाला एवं कांजी हाऊस शहर से दूर बनाएं। मवेशी मालिक और पशु पालक अपने मवेशी को शहर से दूर बाड़े या फार्म हाउस पर रखें। वहीं पर उनके खाने और पानी की व्यवस्था रखे। लेकिन हाईकोर्ट के आदेशों की भी अवहेलना की जा रही है। हाईकोर्ट के आदेशों की पालना ना ही गौपालक और ना ही नगर परिषद कर रही है।नगर परिषद में इच्छा शक्ति का अभाव जान पड़ता है
शहरवासीयो ध्दारा चौक चौराहे पर चर्चा है कि नगर परिषद आयुक्त को चाहिए कि प्रबुद्धजनों के साथ बैठक कर शहर में आवारा पशुओं की समस्या का समाधान कर सकते हैं। उनमें इच्छाशक्ति का अभाव है। इस कारण इस समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा। नियत साफ चाहिए, व्यवस्था सुधर जाएगी। कांजी हाऊस जो पहले बना हुआ था उसी तरह नया कांजी हाऊस बना सुव्यवस्थित करें। पालतू पशु की पशु पालकों को पाबंद किया जाए। जुर्माना लगाया जाए। आवारा पशु को गौशाला संचालक से बातचीत कर वहां पर रखे।
चर्चा यह भी है कि पशुपालकों को सजा मिले जो पशु पालक दूध लेने के बाद उसे आवारा छोड़ देते हैँ। अगर उनके मवेशियों की दुर्घटना हो जाए तो गाड़ी वाले से भारी जुर्माना लेते हैं। लेकिन मवेशियों ध्दारा किसी व्यक्ति के चोट लगने पर नुकसान की भरवाई नहीं की जाती। पशुपालकों को चाहिए कि वे गाय को मां मानते हैं तो उसे उसी तरह संभाले। पशुपालकों को पाबंद किया जाए। अगर एक बार जुर्माना लगाने से नहीं माने तो पशु पालक को सजा देने जैसा प्रावधान किया जाए व लापरवाह पशुपालको पर सख्त कार्रवाई हो बेसहारा पशुओं के साथ बिना कोई क्रुरता किऐ सुव्यवस्थित रेस्क्यू कर गौशाला में भेजने के प्रबंधन अविलंब होना चाहिए ताकि फिर कोई दुर्घटना किसी के साथ घटित ना होवे