खानदानी परंपरा को जीवित रखने की जद्दोजहद करता बहरुपया समाज भगवान से लेकर हर तरह का सॉन्ग कर करते हैं लोगों का मनोरंजन
सिंगोली/झांतला:- विलासिता वह भौतिकता के इस युग में जहां कंप्यूटर मोबाइल का बोलबाला समाज में फैशन के रूप में हावी होता जा रहा है मोबाइल व कंप्यूटर में समाज के लोग हर सुख ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं ऐसे में आज भी बहूरुपया समाज अपनी कला के माध्यम से नाना प्रकार के सॉन्ग वह रूप धारण कर अपनी खानदानी परंपरा को जीवित रखने की जद्दोजहद में लगा हुआ है इसके लिए यह घुमन्तू जीवन व्यतीत कर यहाँ वहाँ गांव-गांव जाकर अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं लेकिन इस युग में इनकी कला मेहनत का मूल्यांकन सही रूप से नहीं होने से उचित सम्मान नहीं मिल पाता है जबकि यह वह कला है जिसे पुलिस विभाग सीबीआई सीआईडी आदि अपराधों को उजागर वह अपराधियों को पकड़ने के लिए इसी बहरूपिया कला का इस्तेमाल करते हैं फिल्मी कलाकार जहां एक डायलॉग बोलने के लिए पूरी यूनिट का साथ लेते हैं और कई बार सीन को कई बार रिपीट करने के बाद फिल्माया जाता है लेकिन यह कलाकार असली रंग मंच पर बिना किसी यूनिट का सहारा लिए फर्राटेदार डायलॉग मारते हैं यह कलाकार भगवान शंकर ,हनुमान, नारद जी ,डाकू ,पागल जोकर ,भिखारी या किसी फिल्म के किरदार में गब्बर सिंह ,पीके के आमिर खान,खलनायक के संजय दत्त ,आदि कहीं रोल कर अश्लीलता से दूर भारतीय संस्कृति के अनुरूप भेष बनाते हैं झांतला में बहुरूपिया आकाश राज पिता जितेंद्र सिंह खाटू श्याम राजस्थान निवासी ने बताया कि मैंने यह कला अपने पिता जितेंद्र सिंह से सीखी है इस कला के लिए हमें गांव-गांव जाना पड़ता है आज भी समाज में कला के पारखी हमारी कला की कदर कर हमें पारितोषिक व सम्मानित करते हैं लेकिन आधुनिकता के इस युग में कला के कदरदान कम रह गए हैं सांस्कृतिक विभाग व सरकार का विशेष प्रोत्साहन नहीं मिल पाता है जिससे धीरे-धीरे यह कला हासीए पर जा रही है अतः शासन प्रशासन को चाहिए कि इस समाज के उद्धार के साथ इस सांस्कृतिक विरासत को एक प्लेटफार्म मुहैया करवाया जाए ताकि भविष्य में यह कला वह कलाकार विलुप्त ना हो और यह अपनी कला को भारत ही नहीं समूचे विश्व में इस कला का लोहा मनवा सके यह समाज अपनी आने वाली पीढ़ी को अच्छी तालीम व शिक्षा से जोड़कर इस कला में और आधुनिकता के रंग भर सके छुटाला में बहुरूपिया आकाश राज द्वारा जो सॉन्ग कर जो मनोरंजन लोगों का कर रहा है वह वास्तव में काबिले तारीफ है वर्तमान में अश्लीलता वह पूर्णता से दूर यह शुद्ध मनोरंजन का अद्भुत व नायब कला का प्रदर्शन कहा जा सकता है,
महेंद्र सिंह राठौड़
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