शीतला सप्तमी पर नगर के वार्ड 10 स्थित प्राचीन मंदिर में महिलाओं ने माँ शीतला का किया पुजन
सिंगोली:-नगर मे प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी शीतला सप्तमी का पर्व परम्परानुसार उत्साह के साथ मनाया गया। सोमवार को नगर के प्राचीन मंदिर में पूजा अर्चना के लिए महिलाएं बड़ी संख्या में पहुंची। नगर के प्राचीन वार्ड 10 स्थित मां शीतला माता की पूजा अर्चना कर ठंडे व बासी भोजन का भोग लगाया गया। मंदिर में सोमवार की सुबह चार बजे से ही बड़ी संख्या मे महिलाए पूजा की थाली लिए मंदिर में पूजा अर्चना के लिए पहुंची।
ज्ञात रहे कि नगर में शीतला माता का सबसे प्राचीन मात्र एक ही मंदिर होने से महिलाओं की भारी भीड़ रही। मंदिर प्रागण सुबह से ही महिलाओं से भरा हुआ था। महिलाएं पूजा के लिए सुबह चार बजे से लेकर दोपहार तक महिलाओं द्वारा मंगलगीतो के साथ माता की पूजा अर्चना की गई। शीतला सप्तमी के पर्व को परम्परानुसार शीतला सप्तमी के एक दिन पूर्व रात्रि जागरण कर व एक दिन पुर्व बनाए गए भोजन व पकवानों को पूजा की थाली मे सजाकर महिलाए मंदिर एवं होलीका दहन स्थल पर जाकर पूजा अर्चना करती हैं व ठंडे, बासी पकवान का भोग शितला माता को लगाया जाता है। वहीं महिलाए हाथ मे हल्दी, मेहंदी लेकर मंदिर की दीवारों पर छापे लगाती हैं। जिससें मंदिर की सभी दीवार छापों से भर जाती है। इसी तरह महिलाओं नें गो माता की विशेष पूजा अर्चना कर गोमाता को भी ठंडे व बासी पकवान का भोग लगाया।
रोग से मिलता है छुटकारा
होली के सप्ताह के बाद यानि अष्टमी तिथि को शीतला सप्तमी मनाई जाती है। इस खास दिन को माता शीतला माता की पूजा अर्चना की जाती है। शीतला माता को मां दुर्गा और पार्वती जी का रूप माना जाता है। इन्हें हर रोग से छुटकारा दिलाने की शक्ति प्राप्त है। माना जाता है कि शीतला माता की पूजा करने एवं व्रत रखने से तमाम तरह की बीमारियां जैसे खसरा, फोड़ा, चकिन पॉक्स या नेत्र रोग आदि से रक्षा प्राप्त होती है। आपको इनका वर्णन स्कंद पुराण में भी मिलेगा। माता शीतला को प्रसन्न करने के लिये लोग ठंडा भोजन खाते हैं। इस दिन लोग सुबह-सुबह उठ कर ठंडे जल से स्नान कर के शीतला माता के मंदिर में देवी को जल चढ़ा कर पूजा पाठ करते हैं।
महेंद्र सिंह राठौड़