महावीर का जन्म जीव दया का संदेश देता है।

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महावीर का जन्म जीव दया का संदेश देता है।

महावीर जन्म वाचन का हुआ विशिष्ट आयोजन।

सिंगोली में चल रही पर्युषण महापर्व की भव्य आराधना।

सिंगोली। महावीर प्रभु का जन्म जीवदया का परिचायक है। महावीर का जीवन तप त्याग के संस्कारों की शिक्षा देता है। तपस्या से आत्मा पवित्र होती है। तीर्थंकर परमात्मा ऐसी आत्मा है जो सिर्फ विश्वव कल्याण के लिए जन्म लेते हैं वे सभी के लिए होते हैं जीव मात्र के प्रति करूणा दया का भाव तीर्थंकरों के आलम्बन से ही प्रकट होता है। परमात्मा अहिंसा सत्य अचैर्य, ब्रम्हचर्य और अपरिग्रह का मार्ग सुझाते हैं। यह बात स्वाध्यायी भाइयों ने प्रवचन के दौरान कही। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया की जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक श्री संघ सिंगोली में पर्युषण पर्व की आराधना हर्षाल्लास से चल रही है। जहाँ आराधना करवाने के लिए वर्धमान स्वाध्याय मंडल के अंशुल भाई मेहता, अर्पित भाई बरडिया, अर्हम भाई कांठेड़ पधारे है। श्री संघ में पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के पांचवे दिवस प्रभु के जन्म वाचन कल्याणक महोत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया गया। वही उन्होंने कहा कि हमारे भीतर दान दया है लेकिन हमें सहना नहीं आया। अन्र्तआत्मा को पवित्र बनाये बिना महावीर जन्म मनाना सार्थक नहीं होता है। वही स्वप्नो के बारे में भी बताते हुए कहा कि सामान्य व्यक्ति को नौ प्रकार के सपने आते हैं। सूर्योदय के समय देखा गया सपना सच होता है। खराब सपना देखा तो किसी को सुनाना नहीं चाहिए। अच्छा सपना देखने के बाद सोना नहीं चाहिए। खराब सपना देखने के बाद वापस सोना चाहिए। स्त्री हरण देखे तो धन का नाश होता है। मित्र की मृत्यु देखता है उसे अकस्मात धन की प्राप्ति होती है। अच्छा सपना देखे तो गाय के कान में सुनाना चाहिए। खराब सपना देखे तो यथाशक्ति दान पुण्य करना चाहिए। हमें ध्वज दर्शन से धर्म प्राप्त होता है। उत्तम पुरूष जीवन पर्यन्त माता पिता की सेवा करते हैं। सर्दी में पानी एवं बसंत में घी अमृत तुल्य होता है। उन्होंने ने कहा कि देव, गुरू, धर्म की रक्षा के लिए प्राणों का गुरू तीर्थंकर पूजा से पुण्य फल मिलता है। महावीर जन्म पर त्रिशला नंदन वीर की जय बोलो महावीर की….., बजे कुण्डलपुर में बधाई कि नगरी में वीर जन्मे…. महावीरजी आदि की जयघोष लगाई गई। मधुर कर्णप्रिय शहनाई वादन किया गया। महावीर जन्म कल्याणक के लिए सभागार को गुब्बारों से श्रृंगारित किया। भगवान महावीर को चांदी के झूले में झूला झुलाया गया। चांदी के 14 सपनों की झांकी सजाई गई। बहु मंडल द्वारा त्रिशला रानी के 14 सपना जी व प्रभु जन्म की बहुत सुन्दर प्रस्तुति दी गई। महिलाएं केसरिया, लाल एवं पुरूष श्वेत परिधानों में सहभागी बने। वही विभीन्न चढ़ावे भी बोले गए। एवं नगर में शौभायात्रा भी निकाली गई। भगवान की पालकी आकर्षण का केन्द्र रही । वही महावीर प्रभुजी को पालना जी में लेकर महिलाएं चल रही थी । एवं संगीतमय में तरीके से प्रभु का जन्म वाचन महोत्सव मनाया गया। जहाँ विभिन्न भजनों के माध्यम से रात्रि तक भजन संध्या भी चली। दोपहर के जन्म वाचन व रात्रि की भक्ति संध्या में सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालु सम्मिलित हुए।

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