ग्राम मुवादा में श्री राजोरा के मुखारबिंद से बह रही धर्म गंगा

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ग्राम मुवादा में श्री राजोरा के मुखारबिंद से बह रही धर्म गंगा

भगवान के सम्मुख और उनके शरणागत होने को ही भागवत कथा कहते है-भगवताचार्य पंडित श्री राजोरा

कृष्ण बाललीला,कंस व पूतनावध एवं कृष्ण रुक्मिणी विवाह का वर्णन सुनकर भाव विभोर हुए श्रद्धालु

झांतला। नीमच जिले की सिंगोली तहसील के ग्राम मुवादा में चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद भागवत पुराण कथा में पांचवे दिन श्री कृष्ण बाल लीलाओं का वर्णन किया गया। कथा वाचक पंडित राजेश जी राजोरा ने
कहा कि भगवान के सम्मुख और उनके शरणागत होने को ही भागवत कथा कहते है।
भागवत कथा से कल्याणकारी और कोई भी साधन नहीं है इसलिए व्यस्त जीवन से समय निकालकर कथा को आवश्यक महत्व देना चाहिए। भागवत कथा से बड़ा कोई सत्य नहीं है। भागवत कथा अमृत है। इसके श्रवण करने से मनुष्य अमृत हो जाता है। यह एक ऐसी औषधि है जिससे जन्म-मरण का रोग मिट जाता है। भागवत कथा को पांचवां वेद कहा गया है, जिसे पढ़ सकते हैं और सुन सकते हैं। कृष्ण हिन्दू धर्म में विष्णु के अवतार हैं। सनातन धर्म के अनुसार भगवान विष्णु सर्वपापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख देवता हैं। जब-जब इस पृथ्वी पर असुर एवं राक्षसों के पापों का आतंक व्याप्त होता है तब-तब भगवान विष्णु किसी किसी रूप में अवतरित होकर पृथ्वी के भार को कम करते हैं। वैसे तो भगवान विष्णु ने अभी तक तेईस अवतारों को धारण किया। इन अवतारों में उनके सबसे महत्वपूर्ण अवतार श्रीराम और श्रीकृष्ण के ही माने जाते हैं।

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