बारिश के बाद खिल उठा आदिवासियों का हरिद्वार बहने लगा 300 फीट का झरना
अरनोद | मानसून की दस्तक के साथ ही जिले का प्रसिद्ध गौतमेश्वर तीर्थ एक बार फिर अपने नैसर्गिक सौंदर्य और धार्मिक महत्व के साथ जीवंत हो उठा है. अरनोद क्षेत्र की पहाड़ियों में स्थित यह स्थल न केवल प्राकृतिक छटा का अद्भुत उदाहरण है, बल्कि जनजातीय समाज की आस्था का केंद्र भी है गौतमेश्वर को आदिवासियों का हरिद्वार कहा जाता है, जहां वर्षों से श्रद्धालु खंडित शिवलिंग की पूजा करते आ रहे हैं. पिछले तीन दिनों से हो रही मूसलधार बारिश ने क्षेत्र की रौनक ही बदल दी है यहां गिरने वाले 300 फिट का झरना बहने लगा हैं, पहाड़ हरियाली की चादर ओढ़ चुके हैं और मंदिर परिसर में गूंजते धार्मिक भजनों के साथ प्रकृति की मनोहारी आवाजें श्रद्धालुओं के मन को शांति प्रदान कर रही हैं गुरुवार सुबह यहां का दृश्य किसी हिल स्टेशन जैसा प्रतीत हो रहा था बादलों की परतों में लिपटी पहाड़ियां और उनके बीच कलकल करती जलधाराएं मानो देवभूमि है गौतमेश्वर तीर्थ का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि यहां खंडित शिवलिंग की विधिवत पूजा होती जो सामान्य शिवालयों से इसे अलग बनाती है बारिश में इस तीर्थ की सुंदरता अपने चरम पर होती है अनुभूति करा रही थी
अरनोद से लखन कुमावत की रिपोर्ट
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