मंदिर निर्माण कराना मोक्ष का आरक्षण है- साध्वी श्री अमिदर्शा श्रीजी महाराज साहब, विकास नगर में चार दिवसीय अमृत प्रवचन श्रृंखला प्रवाहित
नीमच। मंदिर निर्माण मोक्ष प्राप्ति का प्रथम प्रवेश द्वार होता है। मंदिर धर्म शिक्षा संस्कार और संस्कृति के संवाहक होते हैं। मंदिर से समाज में सामाजिक समरसता का संदेश आगे बढ़ता है। मंदिर सामाजिक एकता के प्रतीक होते हैं। मंदिर पाप कर्म को रोकने तथा पुण्य कर्म को आगे बढ़ाने की आस्था के केंद्र होते हैं।
यह बात साध्वी अमिपूर्णा श्रीजी महाराजसा की शिष्या श्री अमिदर्शा श्रीजी महाराज साहब ने कहीं। वे श्री जैन श्वेतांबर महावीर जिनालय विकास नगर मंदिर ट्रस्ट नीमच के तत्वावधान में विकास नगर स्थित आराधना भवन के समीप मालव दर्शन परिसर में भक्ति पांडाल में आयोजित धर्म प्रवचन सभा में बोल रही थी।
उन्होंने कहा कि अच्छी प्रेरणा का संदेश जीवन में आत्मसात करने वाले का मोक्ष सरलता से होता है। ठीक इसी प्रकार आज से 37 वर्ष पूर्व मृदुपूर्णाश्रीजी की दीक्षा के समय उन्होंने मंदिर निर्माण की प्रेरणा दी थी और प्रेमप्रकाशजी ने उसको साकार रूप दिया। बरसों पहले बना महावीर जिनालय आज अपने पुननिर्माण यात्रा की और अग्रसर है। प्राचीन काल में राजा महाराजा धन का निवेश मंदिरों के निर्माण में करते थे। माउंट आबू में देलवाड़ा के जैन मंदिर इसी का प्रत्यक्ष उदाहरण है। धन संपत्ति का त्याग बहुत कठिन होता है। लक्ष्मी तो सबके पास आती है, लेकिन जिसकी धन सम्पत्ति अच्छे कार्य में लगती है वह व्यक्ति भाग्यशाली होता है। लोग धन संपत्ति पर्यटन भौतिक संसाधन आदि में लगा देते हैं। 30 साल पहले 30000 रूपए कमाने वाला व्यक्ति भी संतोषी और सुखी रहता था, लेकिन आज एक लाख कमाने वाला व्यक्ति भी असंतोषी और दुःखी रहता है। आज ज्यादातर धन गलत मार्ग पर जा रहा है, संपत्ति का सदुपयोग पुण्य परमार्थ के कार्यों में लगाना चाहिए। लोगों को फिल्मों के हीरो-हीरोइन, मोबाइल नंबर, घर परिवार की संख्या, धन संपत्ति का रिकॉर्ड सब कुछ याद रहता है, लेकिन मंदिर में भगवान की प्रतिमा कैसी है, यह याद नहीं रहता है, क्योंकि लोग याद रखते नहीं है। भगवान को हम जितनी बार स्मृति में लाएंगे उतना ही हमारा पाप कर्म खत्म होगा और पुण्य कर्म बढ़ेगा। मंदिर निर्माण में दिया गया दान और धन पवित्र होता है। एक व्यक्ति संयम जीवन को आत्मसात करता है तो उसका पूरा परिवार, नगर, क्षेत्र का कल्याण हो जाता है। सूरत में 150 लोगों ने संयम जीवन आत्मसात किया उसमें से 50 इकलौती संतान थी, लगभग सभी उच्च शिक्षारत व सम्पन्न परिवार के या बड़े पैकेज पर सर्विस करने वाले, अब ये क्या हो रहा है, मतलब स्पष्ट है, सांसारिक सुख, भौतिकवाद को छोड़कर आत्मिक सुख की तलाश ज्यादा प्रभावी है।
साध्वीजी ने कहा कि आज के युग में जो व्यक्ति धर्म पुण्य के मार्ग में आगे बढ़े तो उसे प्रेरणा देना चाहिए, रोकना नहीं चाहिए। आज तकनीकी उच्च शिक्षा प्राप्त युवा वर्ग भी संत बनाकर दीक्षा ग्रहण कर रहे हैं, संसार में कोई भी काम करो तो पाप ही बढ़ेगा, संयम जीवन में पुण्य कर्म बढ़ता है, संत को सिर्फ आत्मा का ध्यान रहता है, संसार में रहने वाले लोगों को सिर्फ धन संपत्ति और कर्म का ही ध्यान देता है, जो पाप की और ले जाता है। राजा रानी को लड़का हो या लड़की संत को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है।
साध्वी श्री मृदुपूर्णा श्रीजी महाराज साहब ने कहा कि संयम जीवन ही मुक्ति का मार्ग दिखाता है, संसारी व्यक्ति पाप पुण्य के खेल में उलझा रहता है। गुरु धर्म का उपकार सदैव पुण्य कर्म करने वाले को मिलता है। संसार में रहने वाले पति-पत्नी में विवाह के पश्चात प्रारंभ में प्रेम बढ़ता है, बाद में वहम बढ़ता है, संसार में वहम की कोई दवा नहीं है और वहम ही रिश्तों को तोड़कर रख देता है। धार्मिक संस्कार शिविर में बच्चों ने संस्कार के ज्ञान को प्राप्त किया उसे आगे बढ़ाना माता-पिता का कर्तव्य है।
नीमच नगर पालिका अध्यक्ष स्वाति गौरव चौपड़ा ने कहा कि हम धर्म का पालन संयम जीवन के साथ करते हैं तो धर्म हमारी रक्षा करता है। संयम जीवन वैज्ञानिक प्रणाली है। मोबाइल से धर्म दूर हो रहा है। धर्म हमें नैतिकता के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है वह कभी गलत मार्ग पर नहीं जाने देता है। मन को नियंत्रित कर धर्म के मार्ग पर सत्य के साथ चलने से ही हमारे जीवन का कल्याण हो सकता है। वरिष्ठ समाजसेवी मालव दर्शन के सम्पादक प्रेम प्रकाश जैन ने कहा कि 32 वर्ष पूर्व महावीर जिनालय निर्माण की प्रेरणा साध्वी श्री मृदुपूर्णा श्रीजी महाराज साहब से मिली थी, आज मंदिर निर्माण अपने ऊंचाइयों की ओर अग्रसर है। मंदिर का पौधा आज वट वृक्ष बनने की ओर अग्रसर है।
नई विधा के प्रधान संपादक राजेश मानव ने कहा कि एक खुशबू से सारा माहौल सुगंधित हो जाता है, वैसे ही पगारिया परिवार की बहन-बेटी ने पूरे परिवार को धर्म की ओर मोड़ दिया। चित्रा जो आज साध्वी श्री मृदुपूर्णा श्रीजी महाराज साहब है, यह नीमच की बेटी है, जिसने 37 वर्ष संसार को असार मानकर व जानकर संयम धारण किया था। उन्होंने एक छोटी सी इच्छा व्यक्त की कि विकास नगर में एक जिनालय बनाया जाए, उनकी इस भावना को प्रेम अंकल ने साकार किया। आज महावीर जिनालय सभी वर्गों को, श्रद्धालुओं को दर्शन से जोड़ता है। 18 वर्ष की आयु में बहन चित्रा ने दीक्षा ली, जो आज भी नीमच नगर के सभी वर्ग के लोगों के दिल दिमाग में बसी हुई है, उनकी बिदाई आंखों से आज भी झलक जाती है, जो आज भी सभी को याद है।
श्री जैन श्वेतांबर भीड़भंजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष अनिल नागोरी ने साध्वी श्री अमिपूर्णा श्रीजी महाराज साहब आदि ठाणा से 2025 की नीमच में चातुर्मास की विनंती की। इस अवसर पर महावीर जिनालय विकास नगर के सचिव राजेंद्र बंबोरिया ने आओ भक्तों तुम्हें बताएं महता गुरु भगवान की गीत प्रस्तुत किया। हर्षिता-राहुल जैन तथा सोना गोयल ने गुरुवर आए हैं मेरी झोपड़ी के भाग जाग जाएंगे स्तवन प्रस्तुत किया।
धर्म सभा में सुश्री स्वर्णा राहुल जैन ने धार्मिक प्रशिक्षण शिविर में प्राप्त किए अनुभव सुनाते हुए कहा कि रात्रि भोजन त्याग की प्रेरणा मिली, मंदिर दर्शन की विधि सिखने को मिली। स्वस्तिक की दिशा और नवकार मंत्र और जीव दया का ज्ञान ग्रहण करने का अवसर मिला। इस अवसर पर महावीर जिनालय विकास नगर ट्रस्ट के अध्यक्ष राकेश जैन आंचलिया, सहित अनेक समाज जन उपस्थित थे। धर्म सभा का रचनात्मक एवं साहित्यिक संचालन जिला प्रेस क्लब के अध्यक्ष राहुल जैन ने किया।
साध्वी अमि दर्शाश्री जी के प्रवचन आज विकास नगर में-
साध्वी अमि दर्शा श्रीजी महाराज साहब के अमृत प्रवचन प्रतिदिन तीन दिवस तक सुबह 9.30 बजे से महावीर जी नालय के समीप विकास नगर में आयोजित होंगे। धर्म प्रेमी श्रद्धालु समय पर उपस्थित होकर धर्म ज्ञान का पुण्य लाभ ग्रहण
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