हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाएं सुहाग के 16 तरह के सामानों से श्रृंगार करती हैं। इनमें से एक मंगलसूत्र भी है जो बहुत पवित्र माना जाता है। गले में मंगलसूत्र पहनने की प्रथा बहुत प्राचीन काल से चली आ रही है और धार्मिक ग्रंथो में भी इसका उल्लेख दिया गया है। धार्मिक मान्यताओं की बात करें तो मंगलसूत्र और सिंदूर से कई तरह के नियम भी जुड़े हुए हैं। हम आपको रत्न शास्त्र के माध्यम से यह बताते हैं कि महिलाओं को अपने लिए मंगलसूत्र खरीदते समय या बनवाते समय किस तरह की बातों का ध्यान रखना चाहिए और कैसा मंगलसूत्र धारण करना चाहिए।
रत्न शास्त्र की माने तो मंगलसूत्र हमेशा पीले और काले रंग के मोतियों से बना हुआ होना चाहिए। आजकल फैशन के चलते महिलाएं अलग-अलग डिजाइन के मंगलसूत्र बनवा लेती हैं लेकिन इन्हें बनवाते समय पीले और काले मोतियों का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि यह रंग वैवाहिक जीवन की रक्षा के प्रतीक माने जाते हैं। इन दोनों रंगों में से पीला रंग सृष्टि के पालनहर्ता श्री विष्णु को समर्पित है। वही काला रंग भगवान शनिदेव का प्रिय माना जाता है। यही वजह है कि मंगलसूत्र में इन दोनों रंगों का इस्तेमाल होता है।