पुत्र के प्रति मां की ममता एवं वात्सल्य कभी कम नही होता – पंडित रूद्रदेव त्रिपाठी
पशुपतिनाथ मंदिर परिसर में भागवत विचार संस्थान द्वारा आयोजित चतुर्थ दिवस की शिव महापुराण कथा में शिव-पार्वती विवाह सम्पन्न
मंदसौर। अष्टमुखी श्री पशुपतिनाथ महादेव मंदिर,मंदसौर भव्य प्रतिष्ठा पाटोत्सव 65 वां वर्ष पर 11 दिवसीय आयोजन में शनिवार को व्यासपीठ पर राष्ट्रीय कथा व्यास पं. रुद्रदेव त्रिपाठी जावद वाले के मुखारविंद से द्वितीय दिवस की श्री शिव महापुराण कथा प्रारम्भ हुई। पंडित रूद्रदेव त्रिपाठी ने शिवमहापुराण कथा में वर्णन करते हुए बताया कि माता – पिता का अपने पुत्रो के प्रति क्या भाव होता है, जब पिता का अपने पुत्र के प्रति मन में स्वार्थ रहता है कि पुत्र जीवन में ऐसा कार्य करे जिसे पिता व पुरे परिवार का नाम रोशन हो। इसलिए पिता पुत्र को समय – समय पर डाट लगाता रहता है, जिससे पुत्र अच्छा कार्य करता है। उससे अच्छा व्यवहार और जो निखार मां के मन में होता है। जब दो पुत्र के बिच आपस में कलह के वजह से पिता जरूर नाराज रहते है, लेकिन मां के ह्दय मे करूणा की भावना रहती है। उसके लिए दोनो पुत्रो के लिए बराबर प्यार होता है। न छोटा न बड़ा किसी भी प्रकार का भेदभाव नही होता है माता का प्रेम अपनी संतान के प्रति बना रहता है चाह मां शरीर से वृद्ध भी हो जाए प्रेम कभी कम नही होता है। प.ं श्रीकृष्ण वल्लभ शास़्त्री ने बताया कि भागवत विचार संस्थान द्वारा आयोजित कथा के अन्त में आरती के पूर्व शिव महापुराण कथा के दौरान शिव-पार्वती विवाह कि झांकीयां बनाई गई शिव-पार्वती विवाह सम्पन्न करवाया गया।